लक्ष्मण नेगी
ऊखीमठ : केदार घाटी के सीमान्त गांवों के भेड़पालक छह माह सुरम्य मखमली बुग्यालों के प्रवास के लिए रवाना हो गए हैं। भेड़पालको के गांवों से विदा होने पर ग्रामीणों ने भावुक क्षणों के साथ भेड़पालकों को विदा किया। भेड़ पालकों के सुरम्य मखमली बुग्यालों के लिए रवाना होने पर देवकंडी़ भी भेड़पालकों के साथ रवाना हो गई है। देवकडी़ में भेड़पालको के अराध्य विराजमान रहते हैं। छह माह बुग्यालों में प्रवास करने वाले भेड़पालकों का जीवन किसी साधना से कम नहीं रहता है तथा छह माह बुग्यालों में प्रवास के दौरान भेड़पालकों को अनेक परम्पराओं का निर्वहन करना पड़ता है। छह माह सुरम्य मखमली बुग्यालों में प्रवास करने के बाद भेड़पालक दीपावली के निकट गांवों को लौटते हैं। जाकारी देते हुए मदमहेश्वर घाटी बुरूवा गाँव के भेड़पालक बीरेन्द्र सिंह धिरवाण ने बताया कि चैत्र में फुलारी महोत्सव के बाद घोघा विसर्जन के बाद भेड़पालकों के मन में हिमालयी क्षेत्रों के लिए रवाना होने की लालसा मन में जागृत होने लगती है। प्रधान सरोज भटट् ने बताया कि केदार घाटी के सीमान्त गांवों में भेड़पालन की परम्परा युगों पूर्व की है। मदमहेश्वर घाटी विकास मंच के पूर्व अध्यक्ष मदन भटट् का कहना है कि भेड़पालको का छह माह बुग्यालों का प्रवास किसी साधना से कम नहीं है क्योंकि बुग्यालों में आज भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव बना हुआ है। वन विभाग के वन दरोगा आनन्द सिंह रावत ने बताया कि भेड़पालक व प्रकृति एक दूसरे के पूरक है तथा भेड़ों के बुग्यालों में विचरण करने से बुग्यालों की सुन्दरता बढ़ती है। योगेन्द्र भटट् ने बताया कि भेड़पालक छह माह बुग्यालों में प्रवास के दौरान सिद्धवा, विधवा व क्षेत्रपाल की नित पूजा – अर्चना करते है। क्षेत्र पंचायत सदस्य रामकृष्ण रावत, अवतार सिंह धिरवाण व शिव भक्त धिरवाण ने बताया कि भेड़पालक दाती व लाई त्योहार प्रमुखता से मनाते है। नव युवक मंगल दल अध्यक्ष रघुवीर सिंह नेगी ने बताया कि यदि प्रदेश सरकार भेड़पालन व्यवसाय को बढ़ावा देने की पहल करती है तो युवाओं को भी भेड़पालन व्यवसाय में स्वरोजगार के अवसर मिल सकते हैं।महिला मंगल दल अध्यक्ष चन्द्रकला देवी, इन्द्रा देवी, नौरती देवी व रजनी ने बताया कि भेड़पालको का गाँव से बुग्यालों की ओर गमन करने का समय बड़ा भावुक होता है।