ऊखीमठ : मदमहेश्वर घाटी के सीमान्त गाँव गडगू के तीन युवाओं ने 32 किमी जंगलों की पैदल दूरी दो दिनों में तय कर प्रकृति के अनमोल खजाने से रूबरू हुए हैं। इन युवाओं ने गडगू – ताली – रौणी – देवरिया ताल – गडगू का सफर दो दिन में तय कर कुदरत के अनमोल खजाने व अपार वन सम्पदा से रुबरु हुए हैं। इन युवाओं का कहना है कि यदि प्रदेश सरकार व पर्यटन विभाग क्षेत्र के पैदल ट्रैकों को विकसित करने की कवायद करते हैं तो स्थानीय पर्यटन व्यवसाय में इजाफा होने के साथ क्षेत्र के सीमान्त गांवों में होम स्टे योजना को बढ़ावा मिल सकता है।
जिससे स्थानीय युवाओं को स्वरोजगार से जुड़ने का सुनहरा अवसर प्राप्त हो सकते हैं। तीन सदस्यीय दल में शामिल गडगू निवासी कैलाश नेगी ने बताया कि गडगू से ताली व रौणी तक के भूभाग में अपार वन सम्पदा का भरपूर भण्डार है तथा इस भूभाग में अनेक प्रकार के जीव जन्तुओं निर्भीक उछलकूद करते रहते हैं तथा अनेक प्रजाति के पक्षियों की कोकिल आवाज मन को मोहित कर देती है। उन्होंने बताया कि ताली व रौणी के आंचल में सुरम्य मखमली बुग्यालों की भरमार है जहाँ भटके मन को अपार शान्ति मिलती है तथा इन बुग्यालों में छह माह सीमान्त गांवों के पशुपालक प्रवास करते हैं तथा पशुपालकों की छानियों में रात्रि प्रवास करने पर प्यार, प्रेम व सौहार्द मिलता है। दल में शामिल कमल सिंह राणा ने बताया कि ताली रौणी – देवरिया ताल के मध्य फैले भूभाग को भी प्रकृति ने अपने वैभवों का भरपूर दुलार दिया है।
इस भूभाग में विभिन्न प्रजाति की अपार वन सम्पदा के साथ जंगली जानवरों के विचरण करने के क्षणों को कैमरे में कैद करना इतना आसान नहीं है क्योंकि जंगली जीव – जन्तुओं को विचरण करने के लिए एकान्त होना आवश्यक है तथा मानवीय क्षस्तक्षेप होने से जीव – जन्तुओं के विचरण करने में बाधा पहुंचती है। उन्होंने बताया कि ताली रौणी – देवरिया ताल से हिमालय व चौखम्बा को अति निकट से निहारने से ऐसा आभास होता है कि हम हिमालय के शीर्ष पर यात्रा कर रहे हैं।दल में शामिल विकास नेगी ने बताया कि ताली रौणी – देवरिया ताल – गिरिया का पैदल मार्ग रख – रखाव के अभाव में बहुत विकट है इसलिए इस पैदल मार्ग पर ट्रैक करना इतना आसान नहीं। उनका कहना है कि यदि प्रदेश सरकार की पहल पर पर्यटन विभाग इस पैदल ट्रैक को विकसित करने की कवायद करता है तो स्थानीय पर्यटन व्यवसाय में इजाफा होने के साथ गैड़, गडगू, बुरूवा गिरिया गांवों में होम स्टे योजना को बढ़ावा दिया जा सकता है तथा स्थानीय बेरोजगारों को स्वरोजगार से जोड़ा जा सकता है।