जोशीमठ : पहाड़ के सूदूरवर्ती अंचलों में बसे गांवों में फूलदेई पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया

Team PahadRaftar

पहाड़ के सूदूरवर्ती अंचलों में बसे गांवों में फूलदेई पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया

रघुबीर नेगी रिपोर्ट 

जोशीमठ : बसन्त ऋतु का आगमन से पहाड़ जहां बुरांश की लालिमा बिखेर रहा है वहीं पीले फूल फ्यूंली के रंगों से धरती का श्रृंगार कर रहे हैं, धीरे धीरे पहाड़ में हरियाली छाने लगी हैं। जैसे ही सुबह सूरज की लालिमा ने दर्शन दिए तो फूल संक्रांति पर्व के लिए नन्हे – नन्हे बच्चों ने रिंगाल की बनी पवित्र टोकरियां में फूल चुन – चुन कर लाने शुरू किए। टोकरियां को फूलों से सजाकर अपने आराध्य भूमिक्षेत्र पाल घंटाकर्ण, मां गौरा, कल्पेश्वर महादेव, ध्यान बदरी, उर्वाऋषि आश्रम एवं अपने विद्यालय के प्रांगण में पुष्प वर्षा के साथ शुरू हुआ लोकप्रिय पर्व फूलदेई संक्रांति जिसे स्थानीय भाषा में फूल संग्रान कहा जाता है।

पहाड़ी क्षेत्रों में चैत मास के प्रथम दिन नन्हे – नन्हे बच्चे घरों की आंगन में जाकर फूल डालते हैं और कहते हैं, फूल – फूल में कुल कुल चौंव दे माई दाव चौंव गौगा मेरी टोकरी भौरी दे याहे माता हम आपके आंगन में फूल डाल रहे हैं हमें दाल चावल जो भी यथाशक्ति सम्भव हो देना और हमारी टोकरी को भरकर माता गौगा आपको सुख समृद्धि खुशहाली प्रदान करें। घर का स्वामी उन बच्चों को यथा शक्ति गेंहू चावल तेल दाल मिष्ठान दक्षिणा आदि प्रदान कर आशीर्वाद देता है दिनभर बच्चे घर – घर जाकर फूल डालने क बाद शाम को फूल टोकरियां का पूजन किया जाता है और सभी को प्रसाद वितरित किया जाता है।

चैत मास के शुरू होते ही पहाड़ के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में लोग आज से अपनी विवाहित बहिन बेटियां जिन्हें धियांण कहा जाता है को कलेऊ आऊं देना शुरू करते हैं जिसमें आरसे रोटने हलुवा पूड़ी देते हैं।बदलते समय के साथ साथ अब उनकी जगह मिठाइयां ने ले लिया है कुछ गांवों में अभी थोड़ी बहुत परम्परा बची हुई है।

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