श्रावणी उपाकर्म सम्पन्न जनगणना के भाषा कालम में हिन्दू अपनी भाषा संस्कृत लिखें :-मुकुन्दानन्दः ब्रह्मचारी
जनगणना में सभी लोग भाषा के कालम में संस्कृत ही लिखें, क्योंकि सभी सनातनी जन्म से लेकर मृत्युपर्यन्त तक के सभी औपचारिक कार्य संस्कृत भाषा में ही सम्पादित करते हैं । उक्त बातें तोटकाचार्य गुफा, श्रीज्योतिर्मठ में आज श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को ‘संस्कृत-दिवस’ के आयोजन के अवसर पर मुकुन्दानन्द ब्रह्मचारी ने कही ।
श्रावणी उपाकर्म सम्पन्न
मठ में प्रातःकाल भगवती राजराजेश्वरी त्रिपुर सुन्दरी देवी का भव्य श्रृंगार किया गया । 1000 लड्डू के द्वारा भगवती का ललिता सहस्त्रनाम से अर्चन किया गया। मध्याह्न में श्रावणी पूर्णिमा के अन्तर्गत प्रायश्चित संकल्प और दशविध स्नान किया गया। ऋषिपूजन के माध्यम से अरुन्धती सहित सप्तर्षियों का विधिवत पूजन कर सभी सहभागियों ने नया यज्ञोपवीत धारण किया ।
वैदिक मंगलाचरण श्री आशीष उनियाल जी, अरुण ओझा जी, अमित तिवारी जी और कुमारी मानसी पंत ने पौराणिक मंगलाचरण प्रस्तुत किया । श्री किसन उनियाल जी ने ‘भारतीया वयम्’ शीर्षक का एक सुन्दर संस्कृत गीत गाकर सबको आनन्दित किया ।
कार्यक्रम के संयोजक श्री हरीश डिमरी स्वागत भाषण के माध्यम से उपस्थित सभी महानुभावों का मठ प्रांगण में अभिनन्दन किया ।
माधवाश्रम संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य सुरेन्द्र सिंह खत्री ने कहा कि संस्कृत ऐसी भाषा है जिससे हम देवता को भी प्रसन्न कर सकते हैं, संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है। ज्ञान और विज्ञान दोनों ही क्षेत्र में इसका योगदान अतुलनीय है। हम आंग्ल भाषा में पूजा नही करते क्योंकि देवताओं की भाषा संस्कृत ही है । संस्कृत भाषा को विशेष महत्व देने की आवश्यकता है ।
देवभूमि पब्लिक स्कूल के प्राचार्य जगदीश बहुगुणा ने बताया कि संस्कृत केवल भारत वर्ष तक सीमित नही है, अपितु विदेशों में भी संस्कृत के प्रति विशेष रुचि है । जिनके माता पिता अपने बच्चों को संस्कृत का ज्ञान कराते हैं उन्हें आगे चलकर उत्तम जीवन प्राप्त होता है।
सामाजिक कार्यकर्ता श्री बलवन्त सिंह रावत जी ने कहा कि संसार कि सबसे समृद्ध भाषा संस्कृत है, आप सबसे अनुरोध है कि एक श्लोक ही सही प्रतिदिन अवश्य बोलिए । अमेरिकी व्यक्ति गढ़वाली नही समझ सकता है । संस्कृत को बोलने वाले सर्वत्र अभिनन्दनीय होता है ।राजकीय डिग्री कालेज के सह आचार्य ने कहा कि अंग्रेजी का जन्म सामान्य व्यवहार के लिए ब्रिटेन में हुआ।और संस्कृत विश्व की सबसे समृद्धशाली भाषा है ।
विविध विद्यालयों के प्रतिनिधियों ने संस्कृत के उत्थान के लिए अपने विचार व्यक्त किए ।ब्रह्मचारी विष्णुप्रियानन्द जी ने सभी उपस्थित सज्जनों का धन्यवाद ज्ञापन किया ।कार्यक्रम मे उपस्थित रहे पूर्व वेदपाठी कुशलानन्द बहुगुणा जी , जगदम्बा किमोटी जी, डा राजेन्द्र सिंह जी, जगदीश उनियाल , परशुराम खण्डूरी जी, अनिल डिमरी जी, अभिषेक बहुगुणा,श्रीमति रेखा विष्ट, मनोज भट्ट आदि उपस्थित रहे।