गौचर : थराली के रुद्र और देवाल के विहान ने किया प्रदेश में जनपद का नाम रोशन

Team PahadRaftar

थराली के रुद्र और देवाल के विहान ने किया प्रदेश में अपने क्षेत्र का नाम रोशन, राज्य स्तर अबेकस प्रतियोगिता में जीता प्रथम, व तृतीय स्थान 

केएस असवाल 

चार मार्च को राज्यस्तरीय अबेकस प्रतियोगिता का आयोजन राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद देहरादून में सम्पन्न हुई।

प्रतियोगिता में राजकीय आदर्श प्राथमिक विद्यालय डूंगरी के कक्षा 5 के छात्र रुद्र सिंह ने प्रदेश प्रथम स्थान प्राप्त कर सोल क्षेत्र को गौरवान्वित किया। वहीं राजकीय आदर्श प्राथमिक विद्यालय देवाल में कक्षा 4 के छात्र विहान खत्री ने तृतीय स्थान प्राप्त कर क्षेत्र का नाम रोशन किया है।
अबेकस का प्रशिक्षण जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान चमोली ( गौचर) द्वारा समन्वयक गोपाल प्रसाद कपरूवाण के निर्देशन में शिक्षकों को दिया गया है।

अबेकस से बच्चे उंगलियों के माध्यम से कैलकुलेटर से भी तेज जोड घटाने गुणा व भाग कर लेते हैं। वे अपने मस्तिष्क में अबेकस के मोतियों का मानसिक चित्र बना लेते हैं और प्रश्नों को हल करते समय इन मोतियों को कॉलम के अनुसार अंगूलियों पर याद रखते हैं। रुद्र के पिता चंद्र मोहन सिंह रावत घर पर ही खेती बाड़ी का काम करते हैं और विहान के पिता जयवीर सिंह खत्री अध्यापक हैं। रुद्र सिंह ने इस सफलता का श्रेय उसके मार्गदर्शक प्रधानाध्यापक शशिकांत प्रभा व समस्त विद्यालय परिवार को दिया है, इस विद्यालय से पूर्व वर्षों में भी 03 छात्र – छात्राओं का राज्य स्तर के लिए चयन हुआ है।

बिहान ने भी अपनी सफलता का श्रेय अपने विद्यालय की प्रधानाध्यापिका सुमन रानी और समस्त शिक्षकों को दिया।
रुद्र और विहान की इस शानदार सफलता पर डायट प्राचार्य आकाश सारस्वत , खंड शिक्षा अधिकारी थराली व देवाल अनीनाथ , वरिष्ठ प्रवक्ता डायट जनपद अबेकस समन्वयक श्री गोपाल कपरूवाण , राजेंद्र प्रसाद मैखुरी, वीरेंद्र सिंह कठैत, रविंद्र सिंह बर्त्वाल, डॉक्टर गजपाल राज, सुबोध कुमार डिमरी,योगेंद्र सिंह बर्त्वाल, डॉक्टर कमलेश कुमार मिश्र, पुष्पा देवी, दीपा राज, पूरण सिंह बिष्ट, दीपा कुनियाल, राजेंद्र सिंह नेगी, रविंद्र कुमार सहित शिक्षकों व क्षेत्रवासियों ने हर्ष व्यक्त किया है।

क्या है अबेकस

अबैकस (Abacus) एक प्राचीन गणनात्मक उपकरण है जिसका उपयोग संख्याओं की गणना और गणितीय क्रियाएँ (जैसे जोड़, घटाव, गुणा और भाग) करने के लिए किया जाता है। यह लकड़ी या प्लास्टिक के फ्रेम में तारों पर पिरोए गए मोतियों (Beads) से बना होता है। इसे मुख्य रूप से प्राचीन चीन, मेसोपोटामिया, ग्रीस, भारत और अन्य सभ्यताओं में गणना करने के लिए उपयोग किया जाता था।

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