वाण वेदनी रोपवे के निर्माण की मांग को लेकर जिलाधिकारी से मिले ग्रामीण, लोहजंग में खुले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भराण तोक में आंगनबाड़ी केंद्र खोलने की मांग
गोपेश्वर
चमोली जनपद के सबसे दूरस्थ गांव वाण के एक शिष्टमंडल ने जिलाधिकारी चमोली से मुलाकात कर गांव और क्षेत्र की विभिन्न मांगों से संबंधित ज्ञापन पर। जिलाधिकारी ने ग्रामीणों की मांगों को गंभीरता से सुना और उचित कार्यवाही का भरोसा दिलाते हुए संबंधित विभाग को आवश्यक कार्यवाही करने के लिए निर्देशित किया।
35 बरस पुरानी है वाण – रणकधार – वेदनी/आली बुग्याल रोपवे की मांग
बेपनाह हुस्न और अभिभूत कर देने वाला सौन्दर्य को समेटे सीमांत जनपद चमोली के देवाल ब्लाक में स्थित आली बेदनी बुग्याल को रोपवे से जोड़ने की मांग 35 बरस पुरानी है। सामाजिक कार्यकर्ता हीरा सिंह गढ़वाली सहित अन्य ग्रामीणों का कहना है कि यदि केंद्र सरकार की पर्वतमाला परियोजना के तहत वाण – रणकधार – वेदनी/आली बुग्याल को रोपवे से जोडा जाय तो एशिया का सबसे बडा और खूबसूरत बुग्याल आली विश्वस्तरीय स्कीइंग डेस्टिनेशन और विंटर खेलो का प्रमुख क्रीडा केंद्र बन सकता है। स्थानीय ग्रामीण वर्ष 1990 से आली वेदनी बुग्याल को रोपवे से जोडने की मांग कर रहें है। वर्ष 1992-93 में विश्व प्रसिद्ध क्रीडा स्थल औली के जोशीमठ से रोपवे से जुडने के बाद आली-वेदनी की मांग ठंडे बस्ते में चली गयी। 2014 में आयोजित हिमालयी महाकुम्भ नंदा देवी राजजात यात्रा के बाद स्थानीय ग्रामीणों द्वारा एक बार फिर से आली वेदनी बुग्याल को रोपवे से जोडने की मांग की जा रही है।
स्थानीय ग्रामीण और गढभूमि एडवेंचर के सीईओ हीरा सिंह गढवाली और देवेन्द्र बिष्ट कहते हैं कि आली वेदनी बुग्याल पर्यटन के लिहाज से सबसे ज्यादा मुफीद है। इसे विश्वस्तरीय स्कीइंग रिजोर्ट के रूप में विकसित किया जा सकता है। जिससे न केवल पर्यटन बढेगा बल्कि स्थानीय लोगों के लिए भी रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। स्थानीय लोग 1990 से आली वेदनी को रोपवे से जोड़ने की मांग करते आ रहे हैं। ग्रामीणों ने कई बार आली को पर्यटन केंद्र और स्कीइंग रिजोर्ट के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव पर्यटन विभाग और सरकार को भेजा है। स्थानीय विधायक द्वारा भी रणकधार से आली वेदनी बुग्याल को रोपवे से जोडने की मांग पर्यटन मंत्री और मुख्यमंत्री से की जा चुकी है। लेकिन अभी तक कोई उल्लेखनीय प्रगति नही न हो पाई है जिससे ग्रामीणों में रोष है।
ऐसे पहुंचा जा सकता है वेदनी-आली बुग्याल
चमोली के देवाल ब्लाक में स्थित वेदनी-आली बुग्याल तक पहुँचने के लिए कर्णप्रयाग से लगभग 100 किमी गाडी मे जाना पड़ता है। कर्णप्रयाग से नारायणबगड़, थराली, देवाल, मुन्दोली होते हुए अंतिम गांव वाण गाडी से पहुंचा जाता है। वहीं दूसरी ओर काठगोदाम रेलवे स्टेशन से देवाल – वाण तक गाडी से पहुंचा जा सकता है। जबकि वाण गाँव से वेदनी आली तक का 13 किमी का सफर पैदल ही तय करना पड़ता है। वाण गाँव से थोडा ऊपर जाने पर लाटू देवता का पौराणिक मंदिर है। जिसके कपाट पूरे साल में केवल एक ही दिन के लिए खुलते हैं। हिमालयी महाकुम्भ नंदा देवी राजजात यात्रा में लाटू देवता से अनुमति मिलने के बाद ही राजजात आगे बढती है। लाटू देवता को माँ नंदा का धर्म भाई माना जाता है और राजजात में यहाँ से आगे नंदा का पथ प्रदर्शक लाटू ही होता है। लाटू मंदिर के बाद रणकधार नामक जगह आती है। फिर आगे नील गंगा, गैरोली पाताल, डोलियाधर होते हुए बांज, बुरांस, कैल के घने जंगलों, नदी, पशु, पक्षियों के कलरव ध्वनियों के बीच 13 किमी पैदल चलने के उपरान्त 12 हजार फुट की ऊंचाई पर आली और बेदनी के मखमली बुग्याल के दीदार होते हैं। जो एशिया का सबसे बडा मखमली घास का बुग्याल है यह 5-10 किमी से भी अधिक क्षेत्रफल में विस्तारित और फैला हुआ है। यहाँ से सूर्योदय और सूर्यास्त देखना किसी रोमांच से कम नहीं है। ये दोनों दृश्य बेहद ही अद्भभुत और अलोकिक होतें हैं। साथ ही यहाँ से दिखाई देने वाले त्रिशूल और नंदा देवी सहित अन्य पर्वत श्रीखलाओं का दृश्य लाजबाब होता है। वहीं हरी मखमली घास, ओंस की बुँदे, चारों और से हिमालय की हिमाच्छादित नयनाविराम चोटियाँ, धूप के साथ बादलों की लुकाछिपी आपको यहाँ किसी जन्नत का अहसास कराती है। दिसम्बर से मार्च तक यहां बिछी बर्फ की सफेद चादर स्कीइंग के लिए किसी ऐशगाह से कम नहीं है। इसे स्कीइंग रिसोर्ट के रूप में विकसित किया जा सकता है।