गौरवान्वित : चमोली की शिक्षिका कुसुमलता गडिया को मिलेगा नेशनल टीचर अवार्ड 2024 ”शिक्षा का वीणा माॅडल को देश में मिली सराहना
ग्राउंड जीरो से संजय चौहान
चमोली : भारत सरकार द्वारा हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के अवसर पर नेशनल टीचर्स अवार्ड (National Teachers Award) दिए जाते हैं। इस बार शिक्षक दिवस के मौके पर देश भर से 50 शिक्षकों को नेशनल टीचर्स अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा।
25 सालों से जला रही है शिक्षा की अलख
सीमांत जनपद चमोली के थराली ब्लाक के जोलाकोट (बुढजोला) निवासी और शिक्षिका कुसुमलता गडिया की तरह यदि सभी शिक्षक शिक्षिकायें अपने विद्यालय में गुणवत्तापरक शिक्षा को लेकर कुछ अभिनव प्रयोग करें तो सूबे की शिक्षा व्यवस्था पूरे देश में सबसे अव्वल पायदान पर होगी। कुसुमलता गडिया वर्तमान में चमोली जनपद के पोखरी ब्लाॅक राजकीय उच्चतर प्राथमिक विद्यालय वीणा में शिक्षिका के पद पर कार्यरत है।
वर्तमान समय में पहाड़ के दूरस्थ गाँव में स्थित ये सरकारी विद्यालय लोगों के मध्य आकर्षण का केंद्र बना हुआ है, क्योंकि पांच साल पहले छात्र संख्या बेहद कम होनें के कारण इस विद्यालय पर कभी बंदी की तलवार लटकी हुई थी। लेकिन 2015 में इस विद्यालय में तैनात हुई शिक्षिका कुसुमलता गडिया ने न केवल अपनी जिद, जुनून और मेहनत से अभिभावकों का विश्वास जीता अपितु धीरे-धीरे विद्यालय की छात्र संख्या में भी बढ़ोतरी होती गयी। आज उक्त विद्यालय बेहतर शिक्षा और अन्य गतिविधियों के लिए जनपद ही नहीं प्रदेश स्तर पर अपनी पहचान बना पानें में सफल साबित हुआ है।
शिक्षिका कुसुमलता गडिया की जिद, मेहनत और ललक का परिणाम है कि लोगों का भरोसा सरकारी स्कूल के प्रति बढ़ा है। पहाड़ के गांव में स्थित यह विद्यालय शहरों के नामी गिरामी विद्यालयों से हर क्षेत्र में मीलों आगें हैं।
ये है शिक्षा का वीणा माॅडल, गुणवत्तापरक शिक्षा और शैक्षणिक गतिविधियों पर विशेष जोर
पहाड़ों के गाँवों में आज भी नौनिहालों को गुणवत्तापरक शिक्षा मय्यसर नहीं हो पाती है। जिस कारण से पहाड़ से लोगों का सबसे ज्यादा पलायन शिक्षा के लिए हुआ है। लेकिन शिक्षिका कुसुम लता गडिया के प्रयासों से आज रा.उ.प्रा.वि. वीणा गुणवत्ता परक शिक्षा का केंद्र बना हुआ है। शिक्षिका नें विद्यालय में लर्निंग कॉर्नर, पेंटिंग, टीएलएम, ऑनलाइन क्लासेज, वाल पेंटिंग, पोस्टर अभियान के जरिए छात्र – छात्राओं को गुणवत्ता परक शिक्षा से जोड़ा है।
शिक्षिका नें स्कूल की बेजान दीवारों को ‘क्यू आर कोड’ के जरिए शिक्षा के माॅडल की देश में सराहना
कोरोना काल को कैसे अवसर में बदला जा सकता है ये सीखना है तो रा.उ.प्रा.वि. वीणा की शिक्षिका कुसुमलता गडिया से सीखा जा सकता है। जिन्होंने लाॅकडाउन में दिन रात एक करके, इंटरनेट की खाक छानकर स्कूल की बेजान दीवारों पर ‘क्यू आर कोड’ के जरिए शिक्षा की एक नई परिभाषा गढ़ी है। वीणा उत्तराखंड का पहला विद्यालय होगा जहां क्यू आर कोड का प्रयोग शिक्षण को रूचिकर और सुगम बनाने में किया गया। शिक्षा के वीणा माॅडल की हर जगह प्रशंसा हो रही है।
ये होता है क्यू आर कोड
अधिकतर विद्यालयों की दीवारों पर बने चित्र मात्र चित्र ही बनकर रह जाते और उससे सम्बन्धित जानकारियों से छात्र अनभिज्ञ रह जाते हैं या बहुत कम जानकारी उस चित्र से सम्बन्धित छात्रों के पास होती है। लेकिन अब विद्यालय की प्रत्येक शिक्षण/सीखने की सामग्री (TLM) और चित्रों पर क्यू आर कोड लगाया गया है जिसे गुगल लेंस से स्केंन करते ही उस चित्र से सम्बन्धित विडियो हमारे मोबाइल पर शुरू हो जायेगी। क्यू आर कोड से शिक्षण रूचिकर बनेगा साथ ही बाहरी ज्ञान से हम छात्रों को जोड़ सकते हैं। रा.उ.प्रा.वि. वीणा के प्रत्येक सामान पर भी क्यू आर कोड लगाया गया है।
पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता की दीक्षा
शिक्षा के वीणा माॅडल में न केवल आखर ज्ञान और गुणवत्ता परक शिक्षा मिलती है अपितु यहां पर सामूहिक सहभागिता के जरिए छात्र छात्राओं और ग्रामीणों को पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता की दीक्षा भी दी जाती है। शिक्षिका कुसुमलता गडिया द्वारा प्रत्येक सप्ताह और विशेष पर्वों पर विद्यालय प्रांगण से देकर गांव, पनघट, जल स्रोतों सहित विभिन्न जगहों पर स्वच्छता अभियान चलाया जाता है वहीं पर्यावरण संरक्षण की महत्ता को लेकर विद्यालय व गांव में समय – समय पर जागरूकता अभियान व वृक्षारोपण किया जाता है। पेड़ वाले गुरूजी धन सिंह घरिया के सहयोग और प्रोत्साहन से विद्यालय परिसर और गांव में वृहद वृक्षारोपण किया गया था। इस दौरान महिलाओं द्वारा पारम्परिक लोकगीतों के संग वृक्षारोपण को सफल बनाया गया था। इसके अलावा विद्यालय में स्थानीय जड़ी बूटियों का एक संग्रह किया गया है जिस पर भी क्यूआर कोड लगाया गया है क्यू आर कोड स्केन करते ही उस प्लान्ट से सम्बन्धित पूरी जानकारी हमारे मोबाइल पर देख सकते हैं, ये जानकारी टैक्स और विडियो के रूप में छात्रों को प्राप्त होगी। शिक्षिका कुसुमलता गडिया का मानना है कि छात्रों को पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता की जानकारी होनी चाहिए तभी वे इनके फायदे और हानियों से भली भांति परिचित होंगे।
ये पुरुस्कार मेरा नही बल्कि मेरे विद्यालय के हर छात्र – छात्राओं का है, शिक्षा के जरिए ही समाज में बदलाव लाया जा सकता है — कुसुमलता गडिया
शिक्षिका कुसुमलता गडिया से शिक्षा को लेकर लंबी गुफ्तगु हुई। बकौल कुसुमलता, ये पुरुस्कार मेरा नही बल्कि मेरे विद्यालय के हर छात्र छात्रा का है, मेरे कार्य से जब मेरे छात्र छात्राओं के चेहरे पर मुस्कान होती है तो तब जाकर सुकून मिलता है। शिक्षा के जरिए समाज में बदलाव लाया जा सकता है। शिक्षक की समाज निर्माण में अहम भूमिका होती है। इसलिए हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है कि हम कैसी शिक्षा देते हैं। मैं विगत 25 बरसों से नौनिहालों को शिक्षा दे रही हूं। मेरे लिये मेरे परिवार से भी बढ़कर मेरा विद्यालय है। आज का दौर डिजिटल शिक्षा का दौर है, इसलिए चुनौती बहुत बढ गयी है। हमें हर रोज अपडेट होना पड़ेगा। मुझे खुशी है कि मुझे हर स्तर पर सहयोग मिला है। मेरे सहयोगी शिक्षक व अभिभावक, ग्रामीण सबने मुझे हमेशा प्रोत्साहन दिया। मेरी प्रेरणा मेरी मां, बेटी और परिवार हैं, मेरे पति जिनके सहयोग और भरोसे के बिना कुछ भी संभव नहीं था।आज जब पीछे मुड़कर देखती हूँ तो बहुत सुकून और खुशी मिलती है कि मैं कुछ कर सकी हूँ। कहती हैं कि हर माता-पिता को बेटे ही नहीं बल्कि बेटियों को भी बेहतर शिक्षा देनी चाहिए। आज बेटियाँ भी ओलम्पिक से लेकर विशाल नीले आसमान तक हर क्षेत्र में अपनी सफलता का परचम लहरा रही हैं। उन्हें ऊंची उडान भरने दो। शिक्षा पर बेटा और बेटी दोनों का बराबर अधिकार है। मुझे खुशी है कि पहाड़ में बेटियों को भी बेटे के बराबर अधिकार और अवसर दिया जा रहा है।