लक्ष्मण नेगी
ऊखीमठ – पंच केदारों में तृतीय केदार के नाम से प्रसिद्ध भगवान तुंगनाथ के कपाट शुभ लग्नानुसार विधि – विधान, वेद ऋचाओं, महिलाओं के मांगल गीतों व स्थानीय वाद्य यंत्रों की मधुर धुनों व सैकड़ों भक्तों की जयकारों के साथ शीतकाल के लिए बन्द कर दिये गए हैं।
कपाट बन्द होने के बाद भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली कैलाश से रवाना होकर सुरम्य मखमली बुग्यालों में नृत्य करते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिए चोपता पहुंच गईं है तथा 2 नवम्बर को अन्तिम रात्रि प्रवास के लिए भनकुण्ड पहुंचेगी और 3 नवम्बर को शीतकालीन गद्दी स्थल मक्कूमठ में विराजमान होगी।
4 नवम्बर से भगवान तुंगनाथ की शीतकालीन पूजा विधिवत शीतकालीन गद्दी स्थल मक्कूमठ में शुरू होगी। भगवान तुंगनाथ के कपाट बन्द होने के पावन अवसर पर 3001 तीर्थ यात्रियों ने दर्शन कर पुण्य अर्जित किया तथा पूरे यात्रा काल में 1 लाख 36 हजार 430 तीर्थ यात्रियों ने तुंगनाथ धाम में पूजा – अर्चना कर विश्व समृद्धि की कामना की! बुधवार को ब्रह्म बेला पर विद्वान आचार्यों द्वारा भगवान तुंगनाथ का महाभिषेक कर आरती उतारी मठापति राम प्रसाद मैठाणी की मौजूदगी में विद्वान आचार्यों द्वारा भगवान तुंगनाथ के स्वयं भू लिंग को ब्रह्म कमल, भस्म, चन्दन, पुष्प, अक्षत्र सहित विभिन्न पूजा सामाग्रियों से समाधि दी गयी तथा भगवान तुंगनाथ जगत कल्याण के लिए तपस्यारत हो गए। कपाट बन्द होने के बाद भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली ने मुख्य मन्दिर सहित सहायक मन्दिरों की परिक्रमा की तथा कैलाश से शीतकालीन गद्दी स्थल मक्कूमठ के लिए रवाना होकर प्रथम रात्रि प्रवास के लिए चोपता पहुंच गई है। भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के चोपता पहुंचने पर देश – विदेश के तीर्थ यात्रियों,स्थानीय व्यापारियों, जीप टैक्सी यूनियन व घोड़े खच्चर संचालकों द्वारा भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली का पुष्प वर्षा कर भव्य स्वागत किया गया। गुरूवार को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली विभिन्न यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हुए अन्तिम रात्रि प्रवास के लिए भनकुण्ड पहुंचेगी तथा 3 नवम्बर को भगवान तुंगनाथ की चल शीतकालीन गद्दी स्थल मक्कूमठ में विराजमान होगी तथा 4 नवम्बर से भगवान तुंगनाथ की शीतकालीन पूजा विधिवत शुरू होगी। डोली प्रभारी प्रकाश पुरोहित ने बताया कि 3 नवम्बर को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के मक्कूमठ पहुंचने पर सै भोज का आयोजन किया जायेगा जिसकी सभी तैयारियां शुरू कर दी गयी है। प्रबन्धक बलवीर सिंह नेगी ने बताया कि भगवान तुंगनाथ के कपाट बन्द होने के पावन अवसर पर 1201 पुरूषों, 1105 महिलाओं, 605 नौनिहालों तथा 10 साधु संन्यासियों सहित 3001 तीर्थ यात्री कपाट बन्द होने के साक्षी बने तथा इस बार तुंगनाथ धाम में 1 लाख 36 हजार 430 तीर्थ यात्रियों के पहुंचने से नया कीर्तिमान स्थापित हुआ है तथा मन्दिर समिति की आय में भी वृद्धि हुई है ! इस मौके पर आचार्य लम्बलम्बोदर प्रसाद मैठाणी, अतुल मैठाणी, विनोद मैठाणी, अजय मैठाणी, विजय भारत मैठाणी, प्रकाश मैठाणी, चन्द्रमोहन बजवाल सहित मन्दिर समिति के अधिकारी, कर्मचारी, हक – हकूकधारियों सहित सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद रहे।