ऊखीमठ। केदार घाटी के हिमालयी क्षेत्रों सहित सीमान्त गांव बर्फबारी से धवल हो गये हैं। ऊंचाई वाले इलाकों के भू-भाग में जहाँ भी नजर दौडा़ये चारों तरफ का नजरा श्वेत चादर की तरह दृष्टिगोचर हो रहा है। हिमालयी क्षेत्रों सहित केदारनाथ, मदमहेश्वर सहित तुंगनाथ एक बार फिर बर्फबारी से लकदक हो गये हैं।देर रात तक यदि मौसम का मिजाज इसी प्रकार रहा तो तोषी सहित सीमान्त गाँव भी बर्फबारी से लदक होने की सम्भावना बनी हुई है। निचले क्षेत्रों में झमाझम बारिश होने से तापमान में भारी गिरावट महसूस होने के साथ जन जीवन अस्त – व्यस्त हो गया है। तथा ग्रामीणों के घरों में कैद रहने से मुख्य बाजारों में सन्नाटा पसरा हुआ है। केदार घाटी में विगत दिसम्बर माह से हो रही बर्फबारी प्रकृति व प्राकृतिक जल स्रोतों के लिए शुभ तो मानी जा रही है मगर निरन्तर बर्फबारी होने से काश्तकारों की आजीविका खासी प्रभावित हो गयी है।
बता दे कि शनिवार सुबह से ही केदार घाटी के हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी का आगाज हो गया था तथा दोपहर बाद केदारनाथ, पवालीकांठा, वासुकीताल, मनणामाई तीर्थ, शीला समुन्द्र, मदमहेश्वर, पाण्डव सेरा, नन्दीकुण्ड, विसुणीताल, तुंगनाथ, चोपता, दुगलबिट्टा, कार्तिक स्वामी, देवरिया ताल का भूभाग बर्फबारी से धवल हो गया है! आने वाले कुछ घन्टों में यदि बर्फबारी का क्रम जारी रहा तो तोषी, त्रियुगीनारायण, चौमासी, चिलौण्ड, गौण्डार, रासी, गडगू, सारी, चिलियाखोड, राकसीडांडा, मोहनखाल, घिमतोली सहित ऊंचाई क्षेत्रों में बसे गाँव बर्फबारी से लदक हो सकते हैैं। निचले क्षेत्रों में झमाझम बारिश होने से जन जीवन अस्त – व्यस्त हो गया है तथा तापमान में भारी गिरावट महसूस होने से ग्रामीण घरों में कैद रहने के लिए विवश हो गये हैं। निचले क्षेत्रों में झमाझम बारिश होने से काश्तकारों की आजीविका खासी प्रभावित हो रही है! जानकारी देते हुए प्रधान कविल्ठा अरविन्द राणा, ब्यूखी सुदर्शन राणा ने बताया कि हिमालयी क्षेत्रों सहित ऊंचाई वाले इलाकों में निरन्तर बर्फबारी होने से तापमान में भारी गिरावट महसूस की जा रही है तथा काश्तकारों को भविष्य की चिन्ता सताने लगी है। ईको पर्यटन विकास समिति चोपता अध्यक्ष भूपेन्द्र मैठाणी ने बताया कि तुंगनाथ घाटी में निरन्तर हो रही बर्फबारी से जन जीवन अस्त – व्यस्त हो गया है तथा बर्फबारी के कारण कुण्ड – चोपता – गोपेश्वर मोटर मार्ग पर कुछ स्थानों पर वाहनों की आवाजाही बाधित होने की सम्भावना बनी हुई है। उन्होंने बताया कि मौसम के अनुकूल हो रही बर्फबारी से प्रकृति में नव श्रृंगार का संचार होने के साथ प्राकृतिक जल स्रोतों के जल स्तर पर वृद्धि देखने को मिल तो रही है मगर निचले क्षेत्रों में बारिश होने से काश्तकारों की आजीविका खासी प्रभावित हो रही है। पूर्व प्रधान सरिता देवी ने बताया कि सीमान्त गांवों के तापमान में भारी गिरावट महसूस की जा रही है तथा पशुपालकों के सन्मुख चारा पत्ती का संकट बना हुआ है।