मनणामाई तीर्थ में सभी भक्तों की मनोकामना होती है पूर्ण – लक्ष्मण नेगी ऊखीमठ

Team PahadRaftar

ऊखीमठ। मदमहेश्वर घाटी के रासी गाँव से लगभग 39 किमी तथा कालीमठ घाटी के चौमासी गाँव से लगभग 32 किमी दूर चौखम्बा की तलहटी में बसा मनणामाई तीर्थ आदिशक्ति भगवती दुर्गा की तपस्थली माना जाता है। केदारखण्ड में इस तीर्थ की महिमा का वर्णन रम्भ मनणा के नाम से किया गया है। भगवती मनणामाई मदमहेश्वर घाटी व कालीमठ घाटी के ग्रामीणों के साथ – साथ भेड़ पालकों की अराध्य देवी माना जाता है। मनणामाई तीर्थ में हर व्यक्ति की मनोकामना पूर्ण होने से यह तीर्थ मनणामाई तीर्थ के नाम से पूजित है। मनणामाई तीर्थ चौखम्बा से प्रवाहित होने वाली मदानी नदी के किनारे सुरम्य मखमली बुग्यालों के मध्य बसा है। मनणामाई तीर्थ को प्रकृति ने अपने वैभवों का भरपूर दुलार दिया है। वर्षा ऋतु या फिर शरद ऋतु में मनणामाई तीर्थ के चारों तरफ का भूभाग अनेक प्रजाति के पुष्पों से सुसज्जित रहता है।

केदारखण्ड के वर्णित है कि कलियुग में जो मनुष्य भगवती मनणामाई के दर्शन का स्मरण करने से अखिल कामनाओं व अर्थों पूर्ति होती है। महाकवि कालिदास ने भी मनणामाई तीर्थ की महिमा का गुणगान गहनता से किया है। भगवती मनणामाई का जीवन वृतान्त महिषासुर वध से जुड़ी हुई है! मनणामाई तीर्थ के चहुंमुखी विकास में केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग का सेन्चुरी वन अधिनियम बाधक बना हुआ है इसलिए मनणामाई तीर्थ पहुंचने के लिए पैदल मार्ग बहुत ही विकट है। यदि केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग रासी – मनणामाई, चौमासी – मनणामाई पैदल मार्गों को विकसित करने की कवायद करता है कि मनणामाई तीर्थ पहुंचने वाले तीर्थ यात्रियों के आवागमन में वृद्धि होगी तथा स्थानीय तीर्थाटन व्यवसाय में इजाफा होगा।

दो बार मनणामाई तीर्थ की यात्रा कर चुके गैड़ निवासी शंकर सिंह पंवार ने बताया कि पटूडी़ से मनणामाई धाम तक पैदल मार्ग बहुत ही विकट है तथा पैदल मार्ग पर भेड़ पालकों के टैन्टों पर आसरा लेना पड़ता है। राकेश्वरी मन्दिर समिति अध्यक्ष जगत सिंह पंवार ने बताया कि प्रति वर्ष रासी गाँव से मनणामाई तीर्थ तक लोकजात यात्रा का आयोजन किया जाता है मगर पैदल मार्ग पर संसाधन न होने से कम ही लोग लोकजात यात्रा में शामिल होते है।

कैसे पहुंचे मनणामाई तीर्थ

मनणामाई धाम पहुंचने के लिए मदमहेश्वर घाटी के रासी गाँव से सनियारा, पटूडी़, थौली, शीला समुद्र, कुलवाणी यात्रा पड़ावों को पार करने के बाद लगभग दो दिन में मनणामाई धाम पहुंचा जा सकता है या फिर कालीमठ घाटी के चौमासी गाँव से खाम होते हुए मनणामाई धाम पहुंचा जा सकता है। मनणामाई तीर्थ को विकसित करने की होगी सामूहिक पहल प्रधान संगठन ब्लॉक अध्यक्ष सुभाष रावत, संरक्षक सन्दीप पुष्वाण, मीडिया प्रभारी योगेन्द्र नेगी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष त्रिलोक नेगी, कनिष्ठ प्रमुख शेलेन्द्र कोटवाल प्रधान चौमासी मुलायम सिंह तिन्दोरी का कहना है कि मनणामाई तीर्थ को जोड़ने वाले दोनों पैदल मार्ग बहुत ही विकट है तथा मदानी नदी में पुल न होने से नदी का जल स्तर बढ़ने से श्रद्धालुओं को तीन किमी आ दूरी अतिरिक्त तय करनी पड़ती है। तथा मनणामाई तीर्थ में भक्तों को रात्रि प्रवास के लिए धर्मशाला तो है मगर धर्मशाला की क्षमता कम होने से भक्तों के आवागमन में वृद्धि होने से कुछ भक्तों को खुले आसमान में रात्रि गुजारने पड़ती है। इसलिए दोनों पैदल मार्गों को विकसित करने, पैदल मार्ग पर प्रतिक्षालय निर्माण, मदानी नदी में पुल निर्माण तथा मनणामाई तीर्थ में धर्मशाला निर्माण के लिए केन्द्र व प्रदेश सरकार तथा वन मंत्रालय को ज्ञापन भेजकर समस्याओं के निराकरण की पहल की जायेगी

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