ऊखीमठ : केदारघाटी को आपदा ने हमेशा दिए बड़े जख्म, सांसत में जीवन – खास रिपोर्ट

Team PahadRaftar

लक्ष्मण सिंह नेगी

ऊखीमठ : केदारनाथ यात्रा के विभिन्न पड़ावों पर बुधवार रात बादल फटने से प्रकृति ने एक बार मनुष्य को सोचने पर मजबूर कर दिया है। बादल फटने से केदारनाथ यात्रा के कई पड़ावों पर प्रकृति का रौद्र रूप धारण करने के बाद जानमाल की क्षति तो नहीं हुई मगर सरकारी व निजी सम्पत्तियों को भारी नुकसान होने का अनुमान लगाया जा रहा है। जिला प्रशासन द्वारा यात्रा पड़ावों पर फंसें तीर्थ यात्रियों व स्थानीय व्यापारियों का हैलीकॉप्टर से रेक्स्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की कवायद शुरू कर दी गयी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केदार घाटी पहुंचकर आपदा प्रभावित क्षेत्रों का हवाई दौरा कर सोनप्रयाग में तीर्थ यात्रियों से मुलाकात कर कुशलक्षेम पूछकर जिला प्रशासन को राहत व बचाव कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिये है तथा जिला प्रशासन व आपदा प्रबंधन द्वारा केदारनाथ यात्रा पड़ावों पर फंसें तीर्थ यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के हर सम्भव प्रयास किये जा रहे हैं।

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वर्ष 2000 के बाद दैवीय आपदा की घटनाओं में लगातार इजाफा होने तथा प्रकृति का बार – बार रौद्र रूप धारण करने से इन्सान कर बार फिर सोचने के लिए विवश हो गया है। दैवीय आपदा का केदार घाटी से पुराना नाता रहा है। पिछले आकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 1978 में क्यूजा घाटी के कोन्था गांव के ऊपरी हिस्से में बादल फटने के कारण गांव के मध्य भारी मात्रा में मलवा आने से 42 ग्रामीण जिन्दा दफन हो गये थे तथा दर्जनों आवासीय भवनों को भारी क्षति पहुंची थी। वर्ष 1990 के अक्टूबर माह में 5:6 तीव्रता वाले भूकम्प ने हिमालयी क्षेत्र को हिलाकर रख दिया था उस समय उत्तरकाशी के अलावा रूद्रप्रयाग में जनहानि तो नहीं हुई थी मगर लाखों घरों में दरारें पड़ने से असंख्य लोग बेघर हो गये थे। 18 अगस्त 1998 में मदमहेश्वर घाटी के बुरूवा भेटी सहित विभिन्न क्षेत्रों में बादल फटने से 105 लोग काल के ग्रास में समा गये थे तथा 15 सौ से अधिक मवेशी जिन्दा दफन हो गये थे व जुगासू के निकट मधु गंगा में चार किमी परिधि की झील बनने से हरिद्वार तक अलर्ट किया गया था। 28 मार्च 1999 को एक बार हिमालयी क्षेत्रों में भूकम्प आने से क्यूजा घाटी के पिगलापानी में दो ग्रामीण मकान के मलवे में दबने से इस दुनिया से सदा के लिए विदा हो गये थे तथा हिमालयी भूभाग में भारी कम्पन होने से लाखों ग्रामीणों की मकानों में दरारें आ गयी थी। 15 जुलाई 2001 की मध्य रात्रि में जामू, फाटा, खाट, खडिया, सेम कुलारा व ब्यूगगाड में भूस्खलन होने के कारण 28 लोगों की अकाल मौत हो गयी थी तथा ग्रामीणों के आवासीय भवनों व फसलों को भारी नुकसान हुआ था! 8 अगस्त 2005 को अगस्तमुनि विजयनगर के धानियों में बादल फटने से 5 लोग जिदा दफन हो गयें थे तथा दर्जनों आवासीय भवनों को भारी क्षति पहुंची थी! 12 सितम्बर 2012 की मध्य रात्रि में चुन्नी, मंगोली, ब्राह्मण खोली, प्रेमनगर, जुवा, गिरीया व सेमला में बादल फटने के कारण 62 लोग हमेशा के लिए गहरी नींद में सो गये थे! 16/17 जून 2013 को केदारनाथ धाम के ऊपर जल प्रलय होने से 10 हजार से अधिक तीर्थ यात्रियों, व्यापारियों के लापता होने का अनुमान था। विगत वर्ष तीन अगस्त को केदारनाथ यात्रा के आधार शिविर गौरीकुण्ड में चट्टान टूटने से मलवा एक होटल में गिरने से 17 लोग होटल के मलवे के साथ मन्दाकिनी नदी में समा गयें थे जिनमें से 8 लोगों के शव तो प्राप्त हुए मगर 9 लोग अभी भी लापता चल रहें है।

बुधवार को केदारनाथ यात्रा के लिनचोली, रामबाडा, भीमबली, सोनप्रयाग में बादल फटने के कारण जनहानि तो नहीं हुई मगर सरकारी व गैर सरकारी सम्पत्ति को भारी नुकसान होने का अनुमान लगाया जा रहा है। इनके अलावा विभिन्न क्षेत्रों में समय – समय पर बादल, फटने व भूस्खलन होने के मामले सामने आते रहते है मगर उन घटनाओं में जानमाल होने के मामले प्रकाश में तो नहीं आये मगर निजी सम्पत्तियों को भारी नुकसान होता रहता है। आपदा के पीछले आंकड़ों पर गौर करे तो वर्ष 2000 के बाद दैवीय आपदाओं की घटनाएं लगातार सामने आ रही है जो कि भविष्य के लिए शुभ संकेत नही है तथा मानव को संचेत रहने की सख्त आवश्यकता है।

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ऊखीमठ

चौमासी की ओर किया रुख 

बीती रात्रि केदारनाथ यात्रा के विभिन्न पड़ावों पर बादल फटने के कारण यात्रा पड़ावों पर व्यवसाय कर रहे व्यापारियों, घोड़े – खच्चर संचालकों ने रामबाडा से खाम होते हुए कालीमठ घाटी के चौमासी गाँव की ओर रख कर दिया है। जानकारी देते हुए प्रधान चौमासी मुलायम सिंह तिन्दोरी ने बताया कि रामबाडा से खाम होते हुए नौ सदस्यीय पहला दल चौमासी गाँव पहुंच गया है तथा शाम तक 130 से 150 लोगों के चौमासी गाँव पहुंचने की सम्भावना है। उन्होंने बताया कि रामबाडा से खाम होते हुए चौमासी पहुंचने वाले अधिकांश युवा है तथा कालीमठ, मदमहेश्वर घाटियों व ऊखीमठ के रहने वाले है तथा चौमासी के ग्रामीणों द्वारा सभी के लिए भोजन व रात्रि प्रवास की उचित व्यवस्था की जा रही है।

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स्कूली भवन को नुकसान 

क्यूजा घाटी में बुधवार देर रात हुई आंधी तूफान से जूनियर हाई स्कूल अखोडी के भवन के एक कमरे का टिन उड़ गया है तथा अन्य दो कमरों के टिन को भी खतरा बना हुआ है। स्कूल के परिसर में देव वृक्ष पीपल के पेड़ को भी नुकसान हुआ है। जानकारी देते हुए एस एम सी अध्यक्ष नीमा देवी ने बताया कि क्षेत्र में आंधी तूफान होने से विद्यालय की छत में लगा टिन उड़ गया है जबकि विद्यालय में 16 नौनिहाल अध्ययनरत है। कुवर सिंह नेगी, धर्म सिंह नेगी ने बताया कि आंधी तूफान के कारण विधुत लाइन को भी क्षति हुई है तथा घटना की जानकारी सम्बन्धित विभागों को दी गयी है।

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