राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में गुरुवार को पारंपरिक मांगल गायन पर एक संगोष्ठी आयोजित की गई।
स्ववित्त पोषित बी.एड. विभाग में ईपीसी विषय के अन्तर्गत लोक कला और संस्कृति विषय पर एक संगोष्ठी आयोजित की गई।
संगोष्ठी के बाद मंगल कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें पूरे विवाह का दृश्य मंचित कर पारंपरिक मांगल गाने सिखाए गए।संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए प्राचार्य प्रो. कुलदीप सिंह नेगी ने कहा कि छात्र – छात्राओं को पढ़ाई के साथ-साथ अपनी संस्कृति, लोक कला, परम्परा और भाषा को भी संरक्षित करने का प्रयास करना चाहिए।
कार्यक्रम संयोजक बीएड विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ रमाकांत यादव ने कहा बीएड प्रशिक्षुओं के व्यक्तित्व विकास करने के लिए ईपीसी के तहत इस तरह के आयोजन किए जाते हैं जिसमें स्थानीय लोककला एवं संस्कृति संरक्षण के कार्यक्रम होते हैं।दीपिका सेमवाल एवं हेमचन्द के संचालन में हुए मांगल कार्यशाला में दुल्हन की भूमिका में अंबिका तथा पंडित की भूमिका में दिव्यांशु सेमवाल के अभिनय को अतिथियों ने खूब सराहा। इसके साथ ही छात्र छात्राओं ने कार्यशाला में पारंपरिक पोशाक पहनकर माता पिता, भाई बहिन, मामा, चाचा चाची, ताऊ ताई आदि की भूमिका बखूबी निभाई।कार्यक्रम के अंत में उत्तराखंड के विभिन्न प्रकार के स्थानीय पकवानों को अतिथियों हेतु परोसा गया।
इस अवसर पर डॉ शिव कुमार लाल, डा. नाभेंद्र सिंह गुसाईं, डॉ बबिता, डॉ समीक्षा, डॉ राजेश मिश्रा, रूपिन कंडारी, विनीत डिमरी, राजेन्द्र रावत, दलीप कुमार, सतीश डिमरी आदि उपस्थित रहे।