बदरीनाथ : सतोपंथ ट्रेक पर गया पहला विदेशी आध्यात्मिक दल सकुशल लौटा

Team PahadRaftar

संजय कुंवर

बदरीनाथ : श्रधालुओं का आंकड़ा 2 लाख पार,सत्यपथ सतोपंथ ट्रेक पर गया पहला विदेशी आध्यात्मिक यात्री दल भी सकुशल लौटा।

उत्तराखंड में इन दिनों चारधाम यात्रा सीजन चरम पर है। अकेले बदरीनाथ धाम में ही अबतक 2 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने भगवान बदरी विशाल के दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित किया है। आध्यात्मिक तीर्थ यात्री बदरीनाथ धाम के साथसाथ सत्य पथ सतोपंथ सरोवर की यात्रा पर भी जाने लगे हैं, इस दौरान कई आध्यात्मिक यात्रियों को सतोपंथ ट्रैक रूट से बदलते मौसम के कारण नीलकंठ पर्वत पर हो रहे भारी हिमस्खलन का दुर्लभ प्राकृतिक नजारा भी देखने को मिल रहा है। जोशीमठ के पर्यटन कारोबारी दिनेश सिंह एक एनआरआई दल के साथ इस सीजन की पहली सतोपंथ ताल यात्रा को निकले थे जो बदरीनाथ धाम से 30 किलोमीटर आगे 14 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। उन्होंने बताया कि रूट पर आजकल बर्फबारी के कारण दिक्कतें हो रही है और रूट पर पलपल उपरी हिमालई हिम शिखरों पर हो रही हलचल से नीचे ट्रेक रूट पर एवलांच का भी खतरा मंडरा रहा है, लिहाजा खराब मौसम में रिस्क न लें और खुले मौसम में ही सतोपंथ की आध्यात्मिक यात्रा पर अपने कदम बढ़ाएं।

मान्यता है कि इसी सतोपंथ ट्रैक पर पांच भाई पांडवों ने स्वर्गारोहण यात्रा शुरू की थी और वसुधारा से आगे, लक्ष्मी वन, चक्र तीर्थ, सहस्त्र धारा, सहित इस सतोपंथ सरोवर तक आते आते पांडवों के तीन भाई और द्रौपदी की एकएक कर मृत्यु हुई थी और इस तिकोने पवित्र सतोपंथ ताल के समीप ही पांडवों के भाई बल शाली भीम ने अपने प्राण त्यागे। यहां से सिर्फ धर्म राज युधिष्ठर एक श्वान के साथ शशरीर स्वर्गारोहणी मार्ग से स्वर्ग गए थे। इस सतो पंथ सरोवर के तीन कोनो पर निर्मल जल में एकादशी के दिन त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु व महेश देव रूप में दिव्य स्नान के लिए आते हैं। इसलिए इस सरोवर के जल को बहुत पवित्र माना जाता है और सनातन धर्म में वैदिक पूजाओं में इस जल की बड़ी महात्म्य बताया गया है। अभी इस रूट पर लक्ष्मी वन से आगे भारी बर्फ होने से सीजन के पहले विदेशी आध्यात्मिक तीर्थाटन दल के सदस्य और मलेशिया के नागरिक सुरेश कुमार मरिमुत्थू बताते हैं कि सतोपंथ से कुछ किलोमीटर की दूरी से वापस लौट आया हूं, उन्होंने बताया कि अभी चक्रतीर्थ से आगे भारी बर्फ होने के कारण सतोपंथ यात्रा बीच में ही रोकनी पड़ी है। लेकिन उसका मलाल नहीं है बर्फबारी के चलते विषम हालातों में भी अपने गाइड दिनेश और उनकी टीम के सहयोग से यहां तक पहुंचने ओर बर्फ में चलने और एवलांच से सामना होने का रोमांचित अनुभव उनको सदैव याद रहेगा।

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