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ऊखीमठ : मदमहेश्वर घाटी के मध्य प्रवाहित होने वाली मधु गंगा के जुगासू में लम्बे समय से चल रहे अवैध खनन के खिलाफ ग्राम पंचायत बुरूवा के ग्रामीणों ने जोरदार प्रदर्शन कर जुगासू जाने वाले कच्चे मोटर मार्ग को अवरुद्ध कर दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत से खनन माफियाओं ने मधु गंगा के सीने को छलनी कर दिया है जिससे स्थानीय प्रशासन व प्रदेश सरकार को लाखों रूपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है तथा खनन माफिया खूब चांदी काट रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पूर्व में प्रदेश सरकार व स्थानीय प्रशासन द्वारा कुछ ग्रामीणों को निजी भूमि पर खनन पटटे स्वीकृति किये थे जिससे स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलने के साथ ही प्रदेश सरकार को प्रति माह लाखों का राजस्व प्राप्त हो रहा था मगर निजी खनन पट्टों की अवधि समाप्त होते ही स्थानीय प्रशासन की सह पर मधु गंगा में अवैध खनन निरन्तर जारी है। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत मदमहेश्वर घाटी की ग्राम पंचायत बुरूवा के कई दर्जनों ग्रामीण मधु गंगा के किनारे जुगासू पहुंचे तथा स्थानीय प्रशासन व खनन माफियाओं के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन कर अपने गुस्से का इजहार किया तथा जुगासू जाने वाले कच्चे मोटर मार्ग को जे सी बी मशीन की मदद से अवरुद्ध कर दिया। प्रधान बुरूवा सरोज भटट् का कहना है कि स्थानीय प्रशासन की सह पर जुगासू में दिन – दहाड़े अवैध खनन का कारोबार जारी है तथा खनन माफियाओं के हौसले सातवें आसमान चढ़े हुए हैं। उनका कहना है कि प्रदेश सरकार व स्थानीय प्रशासन को पूर्व की भांति निजी भूमि पर स्थानीय युवाओं को खनन पट्टे की स्वीकृति दी जानी चाहिए। मदमहेश्वर घाटी विकास मंच पूर्व अध्यक्ष मदन भटट् का कहना है कि खनन माफियाओं ने मधु गंगा के सीने को छलनी करने के बाद भी स्थानीय प्रशासन कुम्भकरण की नींद सोने से स्पष्ट हो गया है कि स्थानीय प्रशासन की सह पर जुगासू में अवैध खनन जारी है। वन पंचायत सरपंच विनोद बुरियाल का कहना है कि मधु गंगा में दिन दहाड़े अवैध खनन जारी रहने से स्थानीय प्रशासन की कार्य प्रणाली सवालों के घेरे में आना स्वाभाविक ही है। इस मौके पर महिला मंगल दल अध्यक्ष चन्द्रकला देवी, पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य माणिक लाल, सूरज सिंह, राकेश धिरवाण, सरिता देवी, कलम सिंह चौहान, प्रताप सिंह चौहान, जीतपाल सिंह धिरवाण, राय सिंह, उमेद सिंह, हीरा देवी, रेखा देवी, विजया देवी, मोनिका देवी, कुवरी देवी सहित चार दर्जनों से अधिक ग्रामीण मौजूद थे।