भगवती गौरा का मैतियों ने किया पुष्प अक्षत्रों से स्वागत

Team PahadRaftar

भल्ला वंशजों की कुलदेवी उर्गमघाटी की बेटी धियाण गौरा मायके पहुंची, मैतियों ने किया स्वागत

रघुबीर नेगी

भगवती गौरा की छंतोली ने 17 सितम्बर को देवग्राम के गौरा मन्दिर से शाम चार बजे प्रस्थान कर शाम 7 बजे श्री फ्यूंलानारायण मन्दिर में पहुंची जहां, श्री फ्यूंलानारायण व भर्की भैंटा के ग्रामीणों ने भव्य स्वागत कर पूजा अर्चना के बाद जागर गायन किया गया।

सुबह 7 बजे छंतोली ने रोखनी बुग्याल के लिए प्रस्थान किया जो 11 बजे रोखनी बुग्याल पहुंची भारी वर्षा के बीच जात का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। भगवती गौरा को जागरों के माध्यम से मायके के लिए आवाह्न किया गया कहा जाता है कि भगवती भंवरे के रूप में ब्रह्मकमल के अंदर आती है जो केवल भाग्यशाली लोगों को ही दिखाई देती है। रोखनी बुग्याल स्थिति भगवती गौरा की पुष्प वाटिका मन को मोह लेती है चारों ओर मखमली घास के मैदान और ब्रह्म कमल से सजी वाटिका मन को सुकून प्रदान करती है।

पूजा अर्चना जात करने के बाद 3 बजे भगवती गौरा श्री फ्यू

लानारायण मन्दिर में पहुंची, जहां श्री फ्यूंलानारायण के प्रतिनिधि व भर्की भूमियाल ने देवी गौरा का स्वागत किया। पूजा – अर्चना के बाद यहां प्रसाद ग्रहण किया। भाई नारायण व भर्की भूमियाल से एक वर्ष बाद मिली भगवती बहिन धियाण से मिले भर्की भूमियाल व श्री फ्यूलानारायण तो आंखें छलक आई और अवतरित होकर भर्की भूमियाल ने सभी भक्तों को अपना आशीर्वाद दिया।

फ्यूंलानारायण से विदा होने में पांच बज गये भगवती गौरा भगवान नारायण की धियाण है, भगवान फ्यूलानारायण को भी इन्तजार रहता है अपनी धियाण का सूदूरवर्ती कैलाश से आकर भगवती कुछ समय फ्यूंलानारायण में भगवान नारायण से भेंट करती है।

नारायण से एक वर्ष बाद मिली भगवती कौन भाई चाहेगी कि बहिन जल्दी विदा हो यहां नारायण के यहां तो आदिशक्ति आयी तो काफी देर बाद श्री फ्यूंलानारायण, फ्यूयाण व फ्यूया भर्की भूमियाल ने मां गौरा को मायके के लिए विदा किया।

श्री फ्यूंलानारायण जहां नारियों को सबसे अधिक सम्मान मिला है शाम सात बजे भगवती कल्पेश्वर महादेव होते हुए गौरा मन्दिर पहुंच गई एक साल के अन्तराल के बाद जहां मैतियों ने भव्य स्वागत किया।

क्या है उर्गम घाटी की लोकजात में विशेष

उर्गम घाटी की लोकजात में भगवती गौरा को मायके बुलाया जाता है भादों की तीज तिथि को जो छह महीने तक मायके में रहती है। दूज तिथि को भल्ला वंशजों के प्रतिनिधि स्थानीय उत्पाद समुण कंडी छतोली लेकर फ्यूंलानारायण मंदिर में रात्रि विश्राम करते हैं और सुबह तीज तिथि को भगवती के ससुराल पहुंचे हैं जहां जात होती है जो लगभग 25 से 30 किमी का सफर होता है

जात यात्रा में शामिल संजय सिंह नेगी, रघुबीर नेगी, संदीप नेगी, कमलेश रावत, सचिन किशन, संदीप, कुशाल सिंह, यशवन्त नेगी, फ्यूया पुजारी पार्वती देवी, अब्बल सिंह पंवार, मुकेश कंडवाल, चन्द्रमोहन पवांर, आशीष पवांर, सतेश्वरी देवी, रीता नेगी, सोनी, रिया नेगी समेत 200से अधिक लोग शामिल हुए।

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