सीमांत में चुन्या त्यौहार की धूम”ले कौवा खा चुन्या म्यू दी स्वोनो पुण्य”
काले कौवे ढूँढना हुआ मुश्किल
संजय कुँवर जोशीमठ
उत्तराखंड सीमांत क्षेत्र जोशीमठ में चुन्यां त्यौहार, उत्तरायणी (मकर सक्रांति) पहाड़ों की रीति ही नहीं अपितु परंपराओं का भी अद्भुत संगम भी है।
सीमांत जोशीमठ क्षेत्र के ग्रामीण अंचलो में खास कर पैनखंडा क्षेत्र में आज यह त्योहार बड़े धूमधाम और पारंपरिक तौर पर मनाया गया। जहाँ पारम्परिक पकवाँन चुन्या बनाने की विशेष कला और अनुभव की कमी के कारण आज इस पकवान से क्षेत्र की नई पीढ़ी दूर हो रही है,घरों में इस चुन्या त्योहार के दिन लोग दीवारों पर भगवान सूर्य और उसके सेवकों का एक दल(पौंणा) बनाते हैं और मान्यता के अनुसार सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की तरफ मकर राशि में प्रवेश कर रहे हैं।दो दिनों तक मनाए जाने वाले इस त्योहार के दिन चुन्या, आरसा सहित रोटना, दाल की पकौड़ी आदि पकवान बनाया जाते हैं। और सक्रांति की सुबह सबसे पहले चुन्या काले कौवों को खिलाएं जाते हैं। मान्यता है कि इस दिन से कौवे जो वर्ष के अधिकतर दिन घरों से गायब दिखते हैं वो अपना हिस्सा लेने घरों को आ जाते हैं और घरों में छोटे बच्चे उन्हें चुन्या खिलाते हैं। लेकिन अब न वो बच्चे दिख रहे और नही मुंडेर पर वो काले कौवे जो बच्चों के काले काले आ आ,,, की आवाज से ही दूर – दूर से भागे उड़कर बच्चों के पास से चुन्या पूडी पकौड़ी उठा ले जाते थे।