रिंगाल इंजीनियर राजेंद्र बड़वाल की बेजोड़ हस्तशिल्प कला का हर कोई है मुरीद इनके बनाए रिंगाल के उत्पादों के हर कोई है मुरीद
गोपेश्वर : आज सृष्टि के सबसे बड़े वास्तुकार और इंजीनियर भगवान विश्वकर्मा की जयंती है। उन्होंने सृष्टि की रचना करने में परम पिता ब्रह्मा जी की सहायता की थी।
भगवान विश्वकर्मा ने ही सबसे पहले संसार का मानचित्र बनाया था और स्वर्ग लोक, श्रीकृष्ण की नगरी द्वारिका, सोने की लंका, पुरी मंदिर के लिए भगवान जगन्नाथ, बलभद्र एवं सुभद्रा की मूर्तियों, इंद्र के अस्त्र वज्र आदि का निर्माण किया भी भगवान विश्वकर्मा ने किया था। ऋगवेद में जिसका पूर्ण वर्णन मिलता है। आज विश्वकर्मा दिवस पर रिंगाल मेन राजेंद्र बड़वाल की बेजोड़ हस्तशिल्पी के बारे में जिन्होंने रिंगाल पर बेजोड़ हस्तशिल्प से हर किसी को हतप्रभ कर दिया है। हाथ में जमीन न हो तो कोई गम नहीं। जिसके पास कला का हुनर है उसके हाथों से कुछ भी दूर नहीं रह सकता। जी हां इन पंक्तियों को सार्थक कर दिखाया है रिंगाल मैन राजेन्द्र बड़वाल ने।
सीमांत जनपद चमोली के दशोली ब्लाॅक के किरूली गांव निवासी राजेंद्र बडवाल विगत 16 सालों से अपनें पिताजी दरमानी बडवाल के साथ मिलकर हस्तशिल्प का कार्य कर रहें हैं। उनके पिताजी पिछले 47 सालों से हस्तशिल्प का कार्य करते आ रहें हैं। राजेन्द्र पिछले छह सालों से रिंगाल के परम्परागत उत्पादों के साथ साथ नयें – नयें प्रयोग कर इन्हें मार्डन लुक देकर नयें डिजाइन तैयार कर रहे हैं।
उनके द्वारा बनाई गई रिंगाल की छंतोली, मोनाल, मोर, ढोल दमाऊ, हुडका, लैंप शेड, लालटेन, गैस, टोकरी, फूलदान, घौंसला, पेन होल्डर, फुलारी टोकरी, चाय ट्रे, नमकीन ट्रे, डस्टबिन, फूलदान, टोपी, स्ट्रैं, वाटर बोतल, बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, पशुपतिनाथ मंदिर सहित अन्य मंदिरों के डिज़ायनों को लोगों ने बेहद पसंद किया। राजेन्द्र बडवाल की हस्तशिल्प के मुरीद उत्तराखंड में हीं नहीं बल्कि देश के विभिन्न प्रदेशों से लेकर विदेशों में बसे लोग भी है।