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लक्ष्मण नेगी
ऊखीमठ : नगर क्षेत्रांतर्गत विभिन्न स्थानों पर पेयजल संकट गहराने लगा है, जबकि सड़क किनारे लगे हैंड पम्प विभागीय लापरवाही के करण वर्षों से शोपीस बने हुए हैं।
मौसम के अनुकूल बर्फबारी व बारिश न होने से पेयजल गहराने का मुख्य कारण माना जा रहा है फरवरी माह में प्राकृतिक जल स्रोतों के जल स्तर पर भारी गिरावट आने भविष्य के लिए शुभ संकेत नही माना जा रहा है। आने वाले दिनों में यदि मौसम के अनुकूल बर्फबारी व बारिश नही हुई तो मई जून में विभिन्न क्षेत्रों में भारी पेयजल संकट गहराने की संभावनाओं से इनकार नही किया जा सकता है। विगत कई वर्षों से जलवायु परिवर्तन के कारण प्राकृतिक जल स्रोतों के जल स्तर पर निरन्तर गिरावट देखने को मिल रही है। इस वर्ष दिसम्बर व जनवरी माह में मौसम के अनुकूल बर्फबारी व बारिश न होने से नगर क्षेत्रांतर्गत विभिन्न तोकों में पेयजल संकट गहराने लगा है। आलम यह है कि फरवरी माह के शुभारंभ में ही ग्रामीण बूंद – बूंद पानी के लिए मोहताज होने लगे हैं। नगर क्षेत्रांतर्गत मोटर मार्ग के किनारे लगे हैड पम्प विभागीय लापरवाही व रख – रखाव के अभाव में शोपीस बने हुए हैं। मोटर मार्ग के किनारे लगे हैड पम्पों से यदि पेयजल आपूर्ति सुचारू रहती तो ग्रामीणों व व्यापारियों को राहत मिल सकती थी मगर विभागीय लापरवाही के कारण व रख – रखाव के अभाव मे सड़क किनारे लगे हैण्ड पम्पों की पेयजल आपूर्ति वर्षो से ठप है। व्यापार संघ संरक्षक आनन्द सिंह रावत ने बताया कि विभागीय लापरवाही के कारण नगर क्षेत्रांतर्गत कई तोकों में विगत दो सप्ताह से पेयजल आपूर्ति ठप है जिससे व्यापारी बूंद – बूंद पानी के लिए मोहताज बना हुआ है । उनका कहना है कि मोटर मार्ग के किनारों लगे हैड पम्पों का रख – रखाव कर पेयजल आपूर्ति सुचारू होती तो व्यापारियों को कुछ राहत मिलती। जल संस्थान के अवर अभियन्ता बीरेन्द्र भण्डारी ने बताया कि दिसम्बर व जनवरी माह मे मौसम के अनुकूल बर्फबारी व बारिश न होने से प्राकृतिक जल स्रोतों के जल स्तर पर भारी गिरावट आने से पेयजल आपूर्ति करने मे भारी परेशानी हो सकती है तथा आने वाले समय मे समस्या और अधिक गम्भीर हो सकती है. उन्होंने बताया कि सड़क किनारे हैड पम्पों के रख – रखाव के लिए विभागीय अधिकारियों को पत्राचार किया जा रहा है ।