लक्ष्मण नेगी
ऊखीमठ : 11 वें ज्योर्तिलिंग भगवान केदारनाथ की यात्रा का आगाज होने में एक सप्ताह का समय शेष रह गया है। गौरीकुण्ड – केदारनाथ पैदल मार्ग पर प्रशासन केदारनाथ यात्रा व्यवस्थाओं को चाक – चौबन्द करने में जुट गया है, जबकि मन्दिर समिति का 24 सदस्यीय दल केदारनाथ धाम में आगामी 10 मई से शुरू होने वाली यात्रा व्यवस्थाओं में जुड़ा हुआ है। शासन – प्रशासन व मन्दिर समिति द्वारा सभी यात्रा व्यवस्थाओं की तैयारियां युद्धस्तर पर शुरू कर दी गयी है। आगामी पांच मई को भगवान केदारनाथ के शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मन्दिर में केदार पुरी के क्षेत्र रक्षक भैरव पूजन के साथ केदारनाथ यात्रा का आगाज होगा।
लोक मान्यताओं के अनुसार भैरव पूजन के बाद केदार पुरी के क्षेत्र रक्षक भैरवनाथ केदारनाथ धाम के लिए रवाना हो जाते हैं। 6 मई को भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली आर्मी की बैण्ड धुनों, भक्तों की बम – बम भोले की जयकारों के साथ शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मन्दिर ऊखीमठ से कैलाश के लिए रवाना होगी तथा प्रथम रात्रि प्रवास के लिए गुप्तकाशी पहुंचेगी। 7 मई को भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली गुप्तकाशी से रवाना होगी तथा नाला, नारायण कोटी, मैखण्डा यात्रा पड़ावों पर भक्तों को आशीर्वाद देते हुए फाटा पहुंचेगी तथा 8 मई को शेरसी, बडा़सू, रामपुर, सीतापुर, सोनप्रयाग होते हुए अन्तिम रात्रि प्रवास के लिए गौरी माता मन्दिर गौरीकुण्ड पहुंचेगी तथा 9 मई को गौरीकुण्ड से रवाना होकर यात्रा मार्ग के विभिन्न पैदल पड़ावों से होते हुए केदारनाथ धाम पहुंचेगी तथा 10 मई को शुभ लगनानुसार भगवान केदारनाथ के कपाट श्रद्धांलुओ के दर्शनार्थ खोल दिये जायेगें। मन्दिर समिति के कार्याधिकारी आरसी तिवारी ने बताया कि मन्दिर समिति का 24 सदस्यीय एडवांस दल 21 अप्रैल को केदारनाथ धाम पहुंच गया तथा एडवांस दल द्वारा आगामी 10 मई से शुरू होने वाली यात्रा व्यवस्थाओं की तैयारियां शुरू कर दी गयी है। उन्होंने बताया कि केदारनाथ धाम में मौसम के बार – बार करवट लेने से यात्रा व्यवस्थाओं को विधिवत शुरू करने के लिए भारी परेशानियों का सामना करना तो पड़ रहा है मगर एडवांस दल को 9 मई तक सभी व्यवस्थायें चाक – चौबन्द करने के कडे़ निर्देश दिए गए हैं! वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी यदुवीर पुष्वाण ने बताया कि आगामी 5 मई को होने वाली भैरव पूजा की तैयारियां शुरू कर दी गयी है तथा केदारनाथ, मदमहेश्वर, तुंगनाथ, गौरीकुण्ड, त्रियुगीनारायण, कालीमठ, काली शिला सहित केदारनाथ प्रतिष्ठान के अन्तर्गत संचालित होने वाले मन्दिरों मे अधिकारियों, कर्मचारियों व स्वयं सेवकों को ग्रीष्मकालीन जिम्मेदारी दी गयी है।