ऊखीमठ। तुंगनाथ घाटी के विभिन्न गांवों के प्रकृति प्रेमियों का आठ सदस्यीय एक और दल विसुणीताल की खूबसूरती से रूबरू हुआ है। इस बार का दल चोपता – ताली – रौणी – भादणी – थौली होकर विसुणीताल पहुंचा है। आठ सदस्यीय दल का मानना है कि हिमालयी क्षेत्रों में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश से सुरम्य मखमली बुग्यालों में हरियाली लौटने शुरू हो गयी है। विसुणीताल का प्रकृति छटा से रुबरु हुए दल का मानना है कि यह ट्रेक सबसे लम्बा तथा कठिनाइयों से भरा है इसलिए इस ट्रेक से विसुणीताल पहुंचने के लिए तीन दिन का समय लगता है।
आठ सदस्यीय दल में शामिल प्रधान दैडा़ योगेन्द्र नेगी ने बताया कि चोपता – ताली – रौणी – भादणी तक का सफर बहुत कठिन है तथा इस पैदल ट्रेक पर जंगली जानवरों का भय अधिक बना रहता है! दल में शामिल पूर्व प्रधान उषाडा़ प्रदीप बजवाल ने बताया कि चोपता – ताली – रौणी – थौली – विसुणीताल पैदल ट्रेक पर अनेक प्रकार के बेशकीमती फूलों के खिलने से प्रकृति के यौवन पर चार चांद लगने शुरू हो गये है! उन्होंने बताया कि ताली भादणी के मध्य गुफाओं में रात्रि प्रवास किया जा सकता है। दल में शामिल दिनेश बजवाल ने बताया कि विसुणीताल के चारों तरफ हरी – भरी वादियों का दृश्यालोकन करने से ऐसा आभास होता है सम्पूर्ण देव लोक इसी धरती पर उतर आया हो! मनोज नेगी ने बताया कि हिमालयी क्षेत्रों में निरन्तर बारिश होने से सुरम्य मखमली बुग्यालों में भी हरियाली उगने शुरू हो गयी है!
जसवीर बजवाल ने बताया कि थौली से विसुणीताल के भू-भाग को प्रकृति ने नव नवेली दुल्हन की तरह सजाया व संवारा है! दर्शन बजवाल ने बताया कि विसुणीताल पहुंचने के लिए अदम्य साहस व प्रकृति से रूबरू होने का दृढ़ संकल्प अवश्य होना चाहिए क्योकि यह पैदल ट्रेक बहुत कठिन है! आलोक बजवाल ने बताया कि बरसात के समय थौली से लेकर विसुणीताल तक का भू-भाग अनेक प्रजाति के फूलों से सजने से यहाँ के बुग्यालों में परम आनन्द की अनुभूति होती है।