डाइट में भावी शिक्षकों ने सीखे रिंगाल के उत्पाद बनाना,
टिहरी डाइट में आयोजित कौशलम कार्यक्रम में सीखे हस्तशिल्प के गुर, रिंगाल मेन राजेंद्र बडवाल और नवीन बडवाल ने दिया प्रशिक्षण
टिहरी : टिहरी डाइट में आयोजित कौशलम कार्यक्रम में भावी शिक्षकों ने रिंगाल के उत्पाद बनाने के गुर सीखे। 1 अक्तूबर से 5 अक्तूबर तक आयोजित हुई कार्यशाला में प्रसिद्ध हस्तशिल्प और रिंगाल मैन राजेंद्र बडवाल और नवीन बडवाल ने भावी शिक्षकों को सिखाए रिंगाल से विभिन्न उत्पाद बनाना।
5 दिवसीय प्रशिक्षण में 40 से अधिक प्रशिक्षु भावी शिक्षकों ने प्रशिक्षण लिया। इस दौरान कार्यक्रम समन्वयक डॉ सीमा शर्मा, डा राजकिशोर, प्राचार्य डॉ हेमलता भट्ट, पूर्व सीईओ रुद्रप्रयाग डॉ वीर सिंह रावत, सहित विभिन्न लोगों ने प्रतिभाग किया। सबने रिंगाल मेन राजेंद्र बड़वाल की बेजोड़ हस्तशिल्प कला की तारीफ की। कार्यशाला में रिंगाल के टोकरी, फूलदान, घौंसला, पेन होल्डर, फुलारी टोकरी, चाय ट्रे, नमकीन ट्रे, डस्टबिन, फूलदान, टोपी, स्ट्रैं, वाटर बोतल, साइकिल सहित विभिन्न उत्पादों को बनाना सिखाया।
ये हैं रिंगाल मेन राजेंद्र बड़वाल
हाथ में जमीन न हो तो कोई गम नहीं। जिसके पास कला का हुनर है उसके हाथों से कुछ भी दूर नहीं रह सकता। जी हां इन पंक्तियों को सार्थक कर दिखाया है रिंगाल मैन राजेन्द्र बडवाल ने।
सीमांत जनपद चमोली के दशोली ब्लाॅक के किरूली गांव निवासी राजेंद्र बडवाल विगत 16 सालों से अपनें पिताजी दरमानी बडवाल जी के साथ मिलकर हस्तशिल्प का कार्य कर रहें हैं। उनके पिताजी पिछले 47 सालों से हस्तशिल्प का कार्य करते आ रहें हैं। राजेन्द्र पिछले छ: सालों से रिंगाल के परम्परागत उत्पादों के साथ साथ नयें नयें प्रयोग कर इन्हें मार्डन लुक देकर नयें डिजाइन तैयार कर रहे हैं। उनके द्वारा बनाई गयी रिंगाल की छंतोली, मोनाल, मोर, ढोल दमाऊ, हुडका, लैंप शेड, लालटेन, गैस, टोकरी, फूलदान, घौंसला, पेन होल्डर, फुलारी टोकरी, चाय ट्रे, नमकीन ट्रे, डस्टबिन, फूलदान, टोपी, स्ट्रैं, वाटर बोतल, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, पशुपतिनाथ मंदिर सहित अन्य मंदिरों के डिज़ायनों को लोगों नें बेहद पसंद किया। राजेन्द्र बडवाल की हस्तशिल्प के मुरीद उत्तराखंड में हीं नहीं बल्कि देश के विभिन्न प्रदेशों से लेकर विदेशों में बसे लोग भी है। रिंगाल मेन राजेंद्र बड़वाल की बेजोड़ हस्तशिल्प कला ने हर किसी को हतप्रभ कर दिया है।