संजय कुंवर हेमकुंड साहिब
लोकपाल घाटी में वर्षों बाद घाटी में बिखरी दुर्लभ हिम कमल देव पुष्पों की रंगत, एक झलक देख अभिभूत हुए श्रद्धालु और प्रकृति प्रेमी
हेमकुंड : गढ़वाल हिमालय के उच्च हिमालयी पथरीली संकरी नुमा घाटियों में पाए जाने वाले दुर्लभ राज्य पुष्प ब्रह्मकमल के खिलने के बाद अब इसी हिम पुष्प परिवार के तीन अन्य दुर्लभ और औषधीय पुष्पों कस्तूरी कमल,फेन कमल व नील कमल के दर्शन भी लोकपाल घाटी सप्त श्रृंग पर्वत श्रंखला के तलहटी सहित बदरी पुरी क्षेत्र में नीलकंठ पर्वत के बेस कैम्प होने लगे हैं।
बता दें की लोक मान्यताओं के तहत ब्रह्म कमल पुष्प को भगवान शिव का प्रिय पुष्प माना जाता है तो वहीं 17 हजार फीट की ऊंचाई पर उगने वाला दुर्लभ उच्च हिमालई पुष्प फेन कमल, हिम कमल माता पार्वती का को समर्पित है, जो इन दिनों उच्च हिमालई से लेकर,नंदी कुंड, सप्त कुंड,पांगर चूला,वासुकी ताल,काग भूषण्डी ताल,नीलकंठ पर्वत के तलहटी, सहित लोकपाल घाटी के सप्त शृंग पर्वत शिखरों की तलहटी में ये दुर्लभ हिम पुष्प खिले नजर आ रहे हैं। जोशीमठ क्षेत्र के कुछ युवा पथारोहियों के एक दल को लोकपाल घाटी की सप्त श्रृंग पर्वत श्रंखला की तलहटियों में इन दुर्लभ देव पुष्पों के दर्शन हुए हैं। लोकपाल श्री हेमकुंड साहिब और नीलकंठ पर्वत के बेस से लौट कर जोशीमठ पहुंचे युवा पथारोही और प्रकृति प्रेमी राम नारायण भंडारी और महेंद्र सिंह भुजवाण ने खुशी जताते हुए बताया की इस बार लंबे अंतराल के बाद लोकपाल घाटी में हिम कमल/फेन कमल जैसे दुर्लभ प्रजाति के उच्च हिमालई औषधिय गुणों से भरे दिव्य देव पुष्पों के दर्शन कई वर्षो के इंतजार के बाद हो रहे है। साथ ही बदरी पुरी में नीलकंठ पर्वत की तलहटी में भी इन पुष्पों के रंगत बिखरने की खबर है। जो प्रकृति संरक्षण और घाटी के पर्यावरण संतुलन और पारिस्थितिकी के लिए अच्छी खबर है। इनके संरक्षण के लिए ठोस उपाय होने के साथ-साथ सभी प्रकृति प्रेमियों सहित वन विभाग को इनके संरक्षण हेतु मिलकर आगे आना चाहिए। उन्होंने बताया की राज्य पुष्प ब्रह्मकमल लोकपाल घाटी में काफी तादात में खिले हुए नजर आ रहे हैं। समुद्रतल से 3800 से 4600 मीटर की ऊंचाई पर मिलने वाले राज्य पुष्प ब्रह्मकमल का धार्मिक और औषधीय महत्व है। वहीं कस्तूरी कमल 3700 से 5700 मीटर और फेन कमल व नील कमल समूद्र तल से करीब 4000 से 5600 मीटर की ऊंचाई पर उगते हैं।
बता दें की देव पुष्प ब्रह्मकमल की विश्व में करीब 61 प्रजातियां मिलती है जिसमें उत्तराखंड में 4 प्रजातियां ही मिलती हैं, फेन कमल उत्तराखंड राज्य के उच्च हिमालयी प्रजाति के चार कमलों में से एक दुर्लभतम मुख्य पुष्प है, जो उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में करीब 4400 मीटर से 5600 मीटर की ऊंचाई तक पाया जाता है,यह दुर्लभ हिम पुष्प सिर्फ ट्री लाइन अल्पाइन जॉन से ऊपर स्नो लाइन वाले क्षेत्रों में ही पाया जाता है। गढ़वाल हिमालय की सुरमई घाटी, संकरी तलहटी और मखमली बुग्यालों में दुर्लभ अल्पाइन पुष्पों की प्राकृतिक क्यारियों का भंडार है। इन्ही पुष्पों में से विशेष पुष्पों की श्रेणी में गढ़वाल हिमालय के चार दुर्लभ प्रजाति के कमल आते हैं। जिनकी एक झलक पाने के लिए हिमालय की यात्रा पर आया हर एक प्रकृति प्रेमी,पथारोही,पर्यटक, यात्री आतुर रहता है। उच्च हिमालय के हरे भरे मखमली बुग्याल और संकरी पथरीली तलहटी में इन चार दुर्लभ कमलों का खिलना प्रत्येक वर्ष जून माह से ही शुरू हो जाता है। जो सितंबर माह तक दिखाई देते हैं,ये चार दुर्लभ कमल (नील कमल, ब्रह्मकमल, फेन कमल व कस्तूरा कमल) पहाड़ों में बड़े ही श्रद्धा,आस्था के साथ पारंपरिक रूप से देव पुष्प माने जाते हैं। उच्च हिमालय में उगने वाले इन कमल पुष्पों में ब्रह्मकमल सबसे प्रमुख देव पुष्प माना जाता है। इसे उत्तराखंड के राज्य पुष्प का दर्जा हासिल है। वेद पुराणों कथाओं में भी इस पुष्प का बड़ा जिक्र है। जिसके चलते इसे देव पुष्प कहा गया है। समुद्रतल से 3600 मीटर से लेकर 4500 मीटर की ऊंचाई पर जून से लेकर सितंबर के मध्य तक यह पुष्प आसानी से मिल जाता है। वहीं फेन कमल ब्रह्म कमल से कुछ ऊपरी ऊंचाई पर मध्य जुलाई से सितंबर के मध्य खिलता है।
वहीं तीसरा देव पुष्प एक कमल बर्फ की तरह सफेद होता है, जिसे कस्तुरा कमल कहते हैं। कस्तूरा कमल भी फेन कमल की ही प्रजाति के तहत आता है।उच्च हिमालय का चौथा देव पुष्प कमल,नील कमल है। जो समुद्रतल से 3500 मीटर से लेकर 4500 मीटर तक की ऊंचाई पर मिलता है। इस पुष्प की जानकारी कम होने से पर्यटक और अन्य प्रकृति प्रेमी इस दुर्लभ नील कमल पुष्प को ज्यादा नही देख पाते हैं।