रिपोर्ट रघुबीर नेगी
शीतकाल के लिए विधि विधान के साथ श्री फ्यूंलानारायण मंदिर के कपाट बंद,कल्पेश्वर महादेव मंदिर के शीर्ष पर 10000 फीट की ऊंचाई पर विराजमान
उर्गमघाटी : श्री फ्यूंलानारायण मन्दिर के कपाट आज 24 सितम्बर को पूजा अर्चना एवं विधि विधान के साथ भूमिक्षेत्र पाल भर्की भूमियाल एवं भगवती दांणी की मौजूदगी में बंद हो गए। पूजा अर्चना के बाद पुजारी फ्यूया अब्बल सिंह एवं फ्यूयाण पार्वती देवी कंडवाल ने भगवान नारायण का श्रृंगार कर भगवान नारायण के कपाट बंद किये जग कल्याण हेतु भगवान श्री फ्यूंलानारायण ध्यानमग्न हो गए अब अगले वर्ष जुलाई में पुनः श्री फ्यूंलानारायण के दर्शन होंगे।
यहां नारी को है भगवान नारायण के श्रृंगार एवं पूजा अर्चना का अधिकार
श्री फ्यूलानारायण मंदिर उर्गमघाटी जहां केवल महिला को है नारायण की साज श्रृंगार का अधिकार। श्री फ्यूंलानारायण मन्दिर के कपाट हर वर्ष श्रावण विखोदी के दिन खुलते हैं भादों असूज की नन्दा अष्टमी के बाद नवमी तिथि को बन्द हो जाते हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार
यहां नारायण की मूर्ति चतुर्भुज रुप में विराजमान है नारायण की मूर्ति के दोनों तरफ जय विजय दो द्वारपाल हैं जिन्हें स्थानीय लोगों द्वारा नारायण के बच्चे भी कहा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार मान्यता है कि नारायण के द्वार पाल जय विजय थे। नारद मुनि को एक बार प्रणाम न करने के कारण दोनों को राक्षस कुल में जन्म होने का श्राप दे दिया था। जिनका दूसरा जन्म रावण व कुम्भकरण के रुप में हुआ। श्री फ्यूंलानारायण मन्दिर में नारायण मां नन्दा स्वनूल जाख क्षेत्रपाल वन देवियों पितरों की पूजा की जाती है व अखण्ड धूनि अग्नि कपाट बन्द होने तक जलती रहती है। प्रत्येक दिन पूजा के अलावा बाड़ी व सत्तू का भोग लगाया जाता है। यहां नारायण की पुष्प वाटिका में नाना प्रकार के रंग विरंगे फूल खिलते है। फ्यूयाण या तो दस साल से कम उम्र की बालिका होती है या 55 वर्ष से ऊपर की महिला जो फूलों की बगिया से फूल नारायण के श्रृंगार के लिए लाती है। कल्पेश्वर मन्दिर से हल्की चढ़ाई व बीच बीच में जंगलों का दृश्य व 100 मीटर ऊपर से गिरता भिगरख्वे जल प्रपात मन को मोह लेता है। मार्ग में पतोता विनायक जबरखेत विनायक दुदला विनायक खर्सू पाटा विनायक कुंदी व खोड विनायक के दर्शन होते हैं। यहाँ भर्की भैंटा ग्राम पंचायत के प्रति परिवार की हर वर्ष पूजा अर्चना की बारी होती है। इस वर्ष पुजारी अब्बल सिंह फ्यूयाण का दायित्व पार्वती देवी ने निभाया। आज सुबह से कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हुई 2 बजकर 30 मिनट पर भगवान श्री फ्यूलानारायण मंदिर के कपाट पूजा अर्चना भोग विधि विधान के अनुसार शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं।
नारायण के कपाट बंद कर फ्यूयाण अपनी गायों के साथ भगवान नारायण की उत्सव डोली भर्की दशमी मेला के लिए भर्की चोपता रवाना हुये जहां रात्रि में जागर गायन किया जायेगा और भर्की दशमी मेला शुरू होगा।
इस अवसर पर मंजू रावत प्रधान भर्की, उजागर फर्स्वाण, हर्षवर्धन फर्स्वाण अध्यक्ष मेला कमेटी भर्की, देव चौहान, प्रेम सिंह चौहान, सुरेंद्र रावत सरपंच भर्की ,रघुबीर पवांर पुजारी फ्यूंलानारायण, अब्बल सिंह, फ्यूयाण पार्वती देवी, चन्द्रमोहन पवांर समेत सुभाष रावत लक्ष्मण पवांर दुलब सिंह पंवार रघुबीर चौहान रणजीत चौहान समेत सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे।