ऊखीमठ : त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत क्षेत्र पंचायत सदस्यों एवं रेखीय विभागों के कार्मिकों का दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न हुआ। कार्यक्रम के समापन अवसर पर क्षेत्र पंचायत प्रमुख श्वेता पांडेय ने कहा कि हम सभी पंचायत प्रतिनिधियों का नैतिक दायित्व बनता है कि हम सतत विकास लक्ष्यों को प्राथमिकता से अपनी योजनाओं में शामिल करें।
मुख्य प्रशिक्षक डॉ सुभाष चन्द्र पुरोहित द्वारा सतत विकास लक्ष्य की अवधारणा 09 थीमों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि पंचायतों को 73 वें संविधान संशोधन 1992 के तहत सशक्त एवं आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कई कदम उठाए गए।महिलाओं को पंचायतों में प्रतिनिधित्व करने की दिशा में उत्तराखंड सरकार द्वारा पंचायतों में 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया। पंचायतों द्वारा विकास योजनाओं को स्थानीय स्वरोजगार एवं लोक कल्याणकारी बिन्दुओं को मद्देनजर रखते हुए निर्माण एवं क्रियान्वयन को प्राथमिकता के आधार पर संचालित किया जाये।
मुख्य प्रशिक्षक डॉ किरण पुरोहित जयदीप ने महिला एवं बाल हितैषी गाँव के संदर्भ पर प्रकाश डालते हुए बताया कि सभी गर्भवती महिलाओं एवं जन्म से 6 साल के बच्चों के पूर्ण रूप से टीकाकरण एवं कुपोषण से बचाव , सभी बच्चों का आंगनवाड़ी में रजिस्ट्रेशन , बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं की वजन वृद्धि एवं सभी बच्चों का आधार नामांकन एवं गर्भवती महिलाओं का पंजीकरण सौ प्रतिशत होना चाहिए। स्वच्छ गाँव स्वस्थ गाँव की परिकल्पना तभी सम्भव हो सकती है जब गांव में मूलभूत सुविधाएं पूर्ण रूप से किया जाय। खण्ड विकास अधिकारी दिनेश चन्द्र मैठाणी ने कहा कि पंचायतों को सशक्त करने के लिए सरकार द्वारा दर्जनों योजनाये संचालित की जा रही है तथा हर पंचायत प्रतिनिधि को सरकार द्वारा संचालित योजनाओं से गांवों के चहुमुखी विकास की पहल करनी चाहिए।
इस अवसर पर ज्येष्ठ उप प्रमुख कविता नौटियाल, कनिष्ठ उप प्रमुख शैलेन्द्र सिंह, क्षेत्र पंचायत सदस्य ऊषा भट्ट, बृजेश पंत, बलवीर सिंह, विजय लक्ष्मी, प्रदीप सिंह राणा , सरला सहित रेखीय विभाग के कार्मिक उपस्थित थे।