मद्महेश्वर घाटी के फापज बरसाल में 33 वर्षों बाद पांडव नृत्य का भव्य आयोजन – लक्ष्मण नेगी

Team PahadRaftar

ऊखीमठ : मदमहेश्वर घाटी की ग्राम पंचायत फापज बरसाल में 33 वर्षों बाद आयोजित पाण्डव नृत्य में प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु शामिल होकर पुण्य अर्जित कर रहे हैं। गांव में 33 वर्षों बाद पाण्डव नृत्य के आयोजन से ग्रामीणों में भारी उत्साह बना हुआ है तथा धियाणियों व प्रवासियों के गाँव की ओर रूख करने से गाँव में धीरे – धीरे रौनक लौटने लगी है। 26 नवम्बर से शुरू हुए पाण्डव नृत्य में अनेक परम्पराओं का निर्वहन किया जा रहा है। पाण्डव नृत्य में बाल रूप में भगवान श्रीकृष्ण व द्रोपदी सहित सभी पाण्डव पश्वाओं का नृत्य मुख्य आकर्षण बना हुआ है। पाण्डव नृत्य में सार्थक नेगी श्रीकृष्ण, कुवर सिंह नेगी युधिष्ठिर, दिलवर सिंह पंवार अर्जुन, रघुवीर सिंह राणा भीम, महावीर सिंह राणा नकुल, मुकेश राणा सहदेव, संजय सिंह नेगी द्रोपती, नरेन्द्र सिंह नेगी भबरीक, बिक्रम सिंह नेगी तिलमिल, बलवीर सिंह नेगी नगार्जुन, अजय सिंह नेगी सुभद्रा, अंकित सिंह नेगी वासुदत्ता, आलोक नेगी तिलमिली, केशर सिंह नेगी फुलारी, रमन सिंह नेगी गौरा, अमरा देवी कुन्ती, दिलवर सिंह नेगी हनुमान तथा नितीन नेगी घस्यारी की भूमिका अदा कर रहे है जबकि ढोलवादक बृजलाल व संजय लाल के गायन व ढोल दमांऊ की थाप से पाण्डव नृत्य में चार चांद लग रहे हैं। जानकारी देते हुए पाण्डव नृत्य कमेटी अध्यक्ष दर्शन सिंह पुष्वाण ने बताया कि फापज बरसाल गाँव में 33 वर्षों बाद आयोजित पाण्डव नृत्य के आयोजन से ग्रामीणों में भारी उत्साह बना हुआ है तथा प्रतिदिन विभिन्न गांवों के सैकड़ों ग्रामीण पाण्डव नृत्य में शामिल होकर पुण्य अर्जित कर रहे हैं। पाण्डव नृत्य कमेटी संरक्षक कुवर सिंह नेगी ने बताया कि आगामी 15 नवम्बर को गैडा़ कौथिग, 16 नवम्बर को पर्यटक स्थल देवरिया ताल में तीर्थ यात्रा व गंगा स्नान, 18 नवम्बर को पैय्या डाली कौथिग के साथ 19 नवम्बर को पाण्डवों के अस्त्र – शस्त्र विसर्जित के साथ पाण्डव नृत्य का समापन होगा। पूर्व कनिष्ठ प्रमुख दर्शनी पंवार ने बताया कि केदार घाटी में पाण्डव नृत्य की परम्परा युगों पूर्व से चली आ रही है तथा हर वर्ष केदार घाटी के विभिन्न गांवों में पाण्डव नृत्य का आयोजन किया जाता है जिसमें अनेक परम्पराओं का निर्वहन किया जाता है। प्रधान पुष्पा पुष्वाण ने बताया कि पाण्डव नृत्य केदार घाटी की पौराणिक व सांस्कृतिक धरोहर है तथा पाण्डव नृत्य की परम्परा को जीवित रखने के लिए केदार घाटी के जनमानस का महत्वपूर्ण योगदान है! प्रधान पाली सरुणा प्रेमलता पन्त ने बताया कि पाण्डव नृत्य में पाण्डवों का नगर भ्रमण का समय बड़ा भावुक होता है तथा केदार घाटी का जनमानस पाण्डव नृत्य की परम्परा के संरक्षण व संवर्धन के लिए हमेशा से समर्पित व निस्वार्थ भावना से कार्य करता रहता है।

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