ऊखीमठ : पीएमजीएसवाई के कोल्लू बैण्ड – स्वारी ग्वास मोटर मार्ग के रख – रखाव पर लाखों रुपये व्यय होने के बाद भी विभागीय लापरवाही के कारण मोटर मार्ग जानलेवा बना हुआ है। मोटर मार्ग के रख – रखाव पर हुए व्यय की जांच की मांग डी एम दरवार से लेकर सी एम दरवार तक पहुँच चुकी है फिर विभागीय अधिकारी मोटर मार्ग की सुध लेने को तैयार नहीं हैं।
बता दें कि 3 करोड़ 98 लाख 46 हजार की लागत से उक्त मोटर मार्ग का निर्माण शुरू हुआ था। मोटर मार्ग के निर्माण कार्य में भारी लापरवाही होने के कारण ग्रामीणों ने वर्ष 2015 में है जांच की मांग की थी जिसका संज्ञान लेते हुए तत्कालीन जिलाधिकारी डा0 राघव लंगर ने मोटर मार्ग का स्वय स्थलीय निरीक्षण कर पी एम जी एस वाई के अधिकारियों को मोटर मार्ग के निर्माण कार्य में गुणवत्ता लाने के सख्त निर्देश दिये थे। मोटर मार्ग का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद भी मोटर मार्ग के रख – रखाव पर लाखों रुपये पानी की तरह बहाये गये मगर मोटर मार्ग की हालत जस की तस बनी रही।
वर्ष 2017 में रूद्रप्रयाग – पोखरी मोटर मार्ग के ऊपरी हिस्से में कोल्लू बैण्ड – स्वारी ग्वास मोटर मार्ग का पुस्ता बरसात के कारण ढह गया था तो विभाग द्वारा पुस्ते के निर्माण कार्य में लाखों व्यय किया गया! वर्ष 2019 के दिसंबर माह में विभाग द्वारा मोटर मार्ग पर पुनः पैच भरने का कार्य शुरू किया गया तो पैचों के उखड़ने से ग्रामीणों ने जिलधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री दरबार तक फरियाद लगाकर मोटर मार्ग पर विगत पांच वर्षों में हुए व्यय की जांच की मगर ग्रामीणों ने मांग फाईलों में कैद रही। वर्ष 2020 में विभाग द्वारा पुनः 4 लाख 72 हजार रुपये का निर्माण कार्य किया गया जिसमें भारी अनिमिताये बरती गई।
प्रधान बसन्ती देवी का कहना है कि कोल्लू बैण्ड – स्वारी ग्वास मोटर मार्ग पर करोड़ों रुपये व्यय होने के बाद भी मोटर मार्ग जानलेवा होने से स्पष्ट हो गया है कि मोटर मार्ग विभागीय अधिकारियों के लिए दुधारू गाय बन गया है! क्षेत्र पंचायत सदस्य घिमतोली अर्जुन सिंह नेगी का कहना है कि विभागीय अनदेखी के कारण मोटर मार्ग जानलेवा बना हुआ है जिससे मोटर मार्ग पर कभी हादसा हो सकता है! उप प्रधान प्रेम सिंह नेगी का कहना है कि यदि समय रहते विभाग द्वारा मोटर मार्ग की सुध नहीं ली गयी तो क्षेत्रीय जनता को उग्र आन्दोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी शासन – प्रशासन व पी एम जी एस वाई की होगी! वही दूसरी ओर विभागीय अधिकारियों से सम्पर्क करना चाहा मगर सम्पर्क नहीं हो पाया।