शीतकाल में ही पहाड़ों के सुलगने का परिणाम है कि बिन बारिश के ही पहाड़ दरकने लगे हैं। मेरग गांव के सामने धौली गंगा के दूसरे छोर पर टूटा पहाड़।
संजय कुंवर
जोशीमठ : जनवरी माह में जहां बर्फबारी से पहाड़ बर्फ से लकदक रहा करते थे, लेकिन इस बार मौसम की बेरूखी और दावानल से बढ़ते तापमान का असर इस कदर बढ़ने लगा है की सीमांत के सूखे पहाड़ भी जनवरी माह में शीतकाल के दौरान ही दरकने लगे हैं।
इसका उदाहरण है जोशीमठ के मेरग गांव के ठीक सामने धौली गंगा के दूसरे छोर पर आज सुबह अचानक पहाड़ी से तेज़ गर्जना हुई और पहाड़ से गैस और धुंए का गुबार और मलवा नीचे धौली गंगा में गिरने लगा। आप लाइव तस्वीरों में देख सकते हैं किस तरह विंटर में भी सीमांत के पहाड़ यू दरक रहे हैं, जो कहीं न कहीं जलवायु परिवर्तन का प्रतीक माना जा रहा है। हालांकि आबदी वाले क्षेत्र से हटकर घटना होने के कारण जान माल के नुकसान की खबर नही है।