घोड़े खच्चरों की मदद से पहली बार इंडो जापानी ट्रेकिंग दल पहुंचा सतोपंथ सरोवर, ग्रांड एडवेंचर से बनाया रिकॉर्ड।
संजय कुंवर बदरीनाथ,,, सतोपंथ सरोवर, से खास रिपोर्ट
एडवेंचर एसोशिएसन जोशीमठ में पंजीकृत ग्रांड एडवेंचर जोशीमठ के निदेशक और अनुभवी आल इंडिया इंनबौंड/आउट बोंड एडवेंचर टूर ऑपरेटर राजेन्द्र मर्तोलिया और उनकी 14 सदस्यीय इंडो जापानी आध्यात्मिक पथारोहियों की टीम ने उच्च हिमालय में 15 हजार मीटर से ऊंची सतोपंथ झील ट्रैक को पहली बार घोड़े ओर म्यूल के सहारे पूरा कर रिकॉर्ड कायम किया है। और यहां पर कोविड काल के बाद इस सीजन में पहली बार सतोपंथ सरोवर पहुंचे जापानी दल ने विश्व जनकल्याण हेतु हवन ओर यज्ञ पूजा की। दरअसल ग्रांड एडवेंचर जोशीमठ के तहत बदरीनाथ से 14 सदस्यीय इंडो जापानी आध्यात्मिक ट्रेकरों के एक दल ने बदरीनाथ से सतोपंथ सरोवर तक की यात्रा पहली बार बिना पोर्टर की मदद से सिर्फ घोड़ों ओर म्यूल के बलबूते कर डाली इससे पूर्व 30किलोमीटर के इस विकट सत्य पथ की यात्रा को पोर्टरों के सहारे पैदल पथारोहन कर पूरा किया जाता रहा है।
दल के प्रभारी और स्थानीय ग्रांड एडवेंचर टूर के CEO राजेन्द्र मर्तोलिया ने बताया कि बदरीनाथ से लक्ष्मी वन होकर चक्रतीर्थ और यहां से सतोपंथ सरोवर की ट्रेकिंग दुरूह मानी जाती और आम जनमानस के साथ पोर्टरों से ही अभीतक सामान ढुलाया जाता था लेकिन उनके अनुभवी घोड़ा संचालक सुरेन्द्र सिंह की टीम ओर सहयोगी दिनेश राणा के अथक प्रयासों से इस बार हमारे इंडो जापानी पथारोही दल ने घोड़ों ओर खच्चरों कि मदद से सतोपंथ ट्रैक पूरा किया है यही नहीं जापानी टीम के सदस्यों ने तो घोड़ों की मदद से ट्रैक पूरा भी किया, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है समुद्र तल से करीब 15,100 (पंद्रह हजार एक सौ )फीट की ऊंचाई पर सतोपंथ झील गढ़वाल हिमालय की एक तिकोनी हिमरूप झील है। जो चौखंबा पर्वत शिखर की तलहटी पर बसा, यह उत्तराखंड के सुरम्य झीलों में से एक है।
महाभारत के पांडव भाई इसी ‘स्वर्ग के रास्ते’ से होते हुए स्वर्ग की ओर गए थे। इसलिए इस झील का नाम सतोपंथ झील पड़ गया। इसी सरोवर से स्वर्गारोहण के लिए पांडव में अग्रज सम्राट युधिष्ठिर एक श्वान के साथ सशरीर स्वर्ग गए थे, इसे धरती पर स्वर्ग जाने का रास्ता भी कहा जाता है।
स्थित सतोपंथ झील, यहाँ के प्राकृतिक झीलों में से एक है।