हरिद्वार: पंचदशनाम जूना अखाड़े के आचार्य महामण्डलेंश्वर स्वामी अवधेशानंद महाराज नेे कुम्भ मेला 2021 की तैयारियों को लेकर किए जा रहे निमार्ण कार्यो निरीक्षण किया। सबेरे जूना अखाड़ा पहुचने पर आचार्य स्वागत अखाड़े के अन्र्तराष्ट्रीय संरक्षक व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि महाराज,अन्र्तराष्ट्रीय सभापति श्रीमहंत प्रेमगिरि,राष्ट्रीय सचिव श्रीमहंत महेशपुरी,सत्कर्म मिशन के संस्थापक स्वामी वीरेन्द्रानंद की अगुवाई में नागा सन्यासियों ने किया।
अधिष्ठात्री देवी मायादेवी नगर कोतवाल श्रीआनंद भैरव तथा जूना अखाड़े के इष्टदेव भगवान दत्तात्रेय की पूजा अर्चना के पश्चात् आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानंद महाराज ने पूरे अखाड़े में चल रहे निर्माण कार्यो का गहन निरीक्षण किया। शासन निधि से निर्माणाधीन भण्डारगृह का बारीकि से निरीक्षण करते हुए। उन्होने इसका मानचित्र देखा तथा कई आवश्यक निर्देश दिए। इस मौके पर मौजूद उपमेलाधिकारी कुम्भ दयानंद सरस्वती से आचार्य श्री ने कुम्भ मेला क्षेत्र में चल रहे स्थायी निर्माण कार्यो तथा हाइवे पर चल रहे कार्यो की जानकारी ली। उन्होने मेला से सम्बन्धित निर्माण कार्यो की धीमी गति पर अंसंतोष जताते हुए इसमें तेजी लाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा भूमिगत गैस लाइन,विद्युत लाईन तथा पेयजल लाईन के चलते हो रही सड़कें भी बार-बार खुदाई से आम नागरिक त्रस्त है। इन कार्यो में तेजी लाई जानी चाहिए ताकि लोगों को राहत मिल सके।
आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने कुम्भ मेला क्षेत्र में अस्थायी प्रकृति के कार्यो में भी सुनियोजित रूप से तेजी लाये जाने को कहा। उन्होने कहा अखाड़ो को शिविरों हेतु आवंटित किए जाने वाले भूखण्डों को समतल करे तथा मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्थाओं पर शीघ्र आवंटित किया जाना चाहिए। जिससे अखाड़े समय रहते इन पर शिविर आदि लगा सके। श्रीमहंत हरिगिरि महाराज ने आचार्य श्री को अखाड़े में हो रहे निर्माण कार्यो की जानकारी देते हुए बताया कि प्रथम शाही स्नान से पूर्व सभी कार्य पूर्ण हो जाऐंगे।
अखाड़े में पुराने भवनों की रंगाई-पुताई तथा जीर्णोद्वार का कार्य प्रारम्भ हो चुका है। उन्होने अपनी योजनाओं से भी आचार्यश्री को अवगत कराया। निरीक्षण के दौरान कोठोरी महंत लालभारती,थानापति महंत नीलकंठ गिरि,कारोबारी महंत महादेवानंद गिरि,थानापति महंत नवीन गिरि,महंत रणधीर गिरि,महंत पशुपति गिरि,महंत विवेकपुरी,महंत राजेन्द्रगिरि,महंत परमानंद गिरि आदि प्रमुख थे।