गौचर
क्षेत्र में इन दिनों पशुओं में खुरपका रोग चरम सीमा पर पहुंच गया गया है। इस बीमारी से कृष्णा गौ सदन में कई पशुओं की मौत हो गई है।
वर्तमान में कृष्णा गौ सदन में सौ से ज्यादा आवारा जानवर हैं। आवारा जानवरों की रोकथाम के लिए पशुपालन विभाग द्वारा घर घर जाकर पालतू जानवरों पर टैग लगाया गया। इसके एवज में पशु पालकों से 50 रूपए सुविधा शुल्क भी लिया गया। टैग न लगवाने वाले पशु पालकों को सरकारी योजनाओं से वंचित रखने का प्रावधान किया गया। ताकि लोग अपने जानवरों को आवारा न छोड़ सकें। टैग लगाने का यह भी मकसद था कि टैग के नंबर से पशु पालक की पहचान हो सके और उस पर आवश्यक कार्रवाई की जा सके। लेकिन आजतक यहां ऐसा नहीं हो पाया है। नतीजन लोग वे खौप बेकार साबित हो रहे जानवरों को खुले में छोड़ दे रहे हैं।जो कृष्णा गौ सदन के संचालकों के साथ साथ कास्तकारों के लिए परेशानी का सबब बन रहे हैं। अब नौबत इतनी खराब हो गई है कि गौ सदन के सभी जानवर खुरपका बीमारी की चपेट में आ गए हैं अब तक कई जानवरों की मौत भी हो चुकी है।गौ सदन के संचालक अनिल नेगी का कहना है वे बीमार जानवरों का इलाज करने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है।
लेकिन बीमारी ने महामारी का रूप ले लिया है।जो उनके बस बाहर है। जानकारी के अनुसार हर रोज पांच से दस जानवरों की मौत हो रही है। मरने वाले जानवरों को दफनाने के लिए गौ सदन परिसर में जे सी बी से गड्डे खोदे जा रहे हैं। इससे पूरा परिक्षेत्र जहां शमशान नजर आ रहा है वहीं दुर्गंध का बातावरण भी बन गया है।बीमार जानवर जिस प्रकार से पूरे नगर में इधर उधर विचरण कर रहे हैं इससे पशु पालकों में इस बात का डर सता रहा है कि समय रहते बीमारी पर काबू नहीं पाया गया तो वे भारी परेशानी में पड़ सकते हैं। वृहस्पतिवार को पालिका अध्यक्ष अंजू बिष्ट के नेतृत्व में पशु चिकित्साधिकारी नीलम रावत, फार्मासिस्ट बीना गुसाईं तथा बलवंत रावत आदि ने बीमार पशुओं का उपचार शुरू कर दिया है। लेकिन पशुओं की तादाद ज्यादा होने की वजह से समय पर उनका इलाज करना संभव नहीं है। पालिकाध्यक्ष अंजू ने जिलाधिकारी को पत्र भेजकर एक मुहिम के तौर पर बीमार पशुओं का इलाज करवाने का आग्रह किया है। ताकि पूरे नगर क्षेत्र को महामारी से बचाया जा सके।