चमोली जिले में ईराणी, झींझी व बनाला गांवों के 1300 ग्रामीण दो दिनों से गांव में इसलिए फंसे हुए हैं क्योंकि गांवों की आवाजाही का एकमात्र साधन वीर गंगा पर बना कच्चा लकड़ी का पुल नदी के बहाव में बह गया है। वीरगंगा को पार करने का अन्य कोई साधन नहीं है। इन गांवों की आवाजाही के लिए प्रशासन आज तक एक पुल का निर्माण नहीं कर पाया है। ग्रामीणों को इस बात की चिंता है कि अगर आपदा के दौरान गांव में कोई घटना घटे या कोई व्यक्ति बीमार हो तो उसका उपचार कैसे करें। हालांकि मामले में जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी को तत्काल कार्रवाई कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।
दशोली विकासखंड के ईराणी गांव की आबादी एक हजार, पाणा ग्राम सभा के भनाली गांव की आबादी 200 तथा झींझी गांव की आबादी 100 के करीब है। इन गांवों की आवाजाही के लिए वीरगंगा नदी पर आज तक पक्के पुल का निर्माण नहीं हो पाया है। हर वर्ष जब वीर गंगा नदी पर ग्रामीणों द्वारा कच्चे लकड़ी के पुल का निर्माण किया जाता है। मगर वीर गंगा के उफान पर आने के बाद पुल हर बार बह जाता है। बीते दिनों हुई बारिश के बाद 18 अक्टूबर को वीर गंगा का जल स्तर बढ़ने के बाद नदी के ऊपर बनाया गया कच्चा लकड़ी का पुल बह गया। जिससे गांवों की तकरीबन 1300 की आबादी घरों में ही कैद होकर रह गई है। पुल बहने की सूचना राजस्व निरीक्षक गौंणा, जिला आपदा प्रबंधक विभाग को दी जा चुकी है। परंतु अभी तक इन ग्रामीणों की समस्या के समाधान की कार्रवाई नहीं की जा रही है। ईराणी गांव के प्रधान मोहन सिंह नेगी का कहना है कि इस साल जुलाई माह में नदी का जल स्तर बढ़ने से कच्चा पुल बह गया था। जिसके बाद ग्रामीणों द्वारा पुल का निर्माण किया गया। परंतु जुलाई अंतिम सप्ताह में ही दूसरी बार यह पुल फिर बह गया। ग्रामीणों द्वारा फिर से पुल का निर्माण सितंबर माह में किया गया। परंतु 18 अक्टूबर को पुल फिर से बह गया। उन्होंने बताया कि मामले में स्थानीय प्रशासन व आपदा प्रबंधन महकमे को अवगत दिया गया है।