सज गया श्री बंशी नारायण धाम, यहाँ रक्षा बंधन पर्व पर भगवान विष्णु को रक्षा सूत्र “राखी”बांधती है बहिनें

Team PahadRaftar

सज गया श्री बंशी नारायण धामयहाँ रक्षा बंधन पर्व पर भगवान विष्णु को रक्षा सूत्र “राखी”बांधती है बहिनें

संजय कुँवर कलगोठ घाटी जोशीमठ

जोशीमठ प्रखण्ड का एक ऐसा उच्च हिमालयी क्षेत्र और भगवान श्री नारायण धाम है बंशी नारायण मन्दिर जहाँ समुद्रतल से 11 हजार फीट की ऊंचाई पर सन वैली कलगोठ क्षेत्र के जागरूक नव युवक मंगल दल से जुड़े ग्रामीणों का समूह बड़े ही सेवा भाव से साज सज्जा और साफ सफाई सहित भंडारा हेतु तैयारी कार्य में जुटा हुआ है। ताकि कल समय से नारायण भक्तों को वंशी नारायण भगवान के दर्शन हो सके और बहिनें तय मुहूर्त पर भगवान बंशी नारायण जी को राखी बांध सके और फिर उन्हे भी रक्षा सूत्र बांधे। ईधर लक्ष्मण सिंह रावत जाख देवरा मेला कमेटी कलगोठ, संदीप सिंह रावत , लक्ष्मण सिंह रावत डीलर ,रविन्द्र सिंह रावत, सवदेव सिंह रावत ,सूरज, मुकेश सिंह रावत सहित तमाम नव युवक दल कल होने वाले रक्षाबंधन पर्व को लेकर तैयारियां में जुटे हैं।

नारायण धाम के आस्था पथ के पगदंडियों की मरम्मत की जा चुकी है।कल रविवार को रक्षाबंधन पर्व पर यहाँ भगवान वंशीनारायण अपने भक्तों को विशेष पर्व दर्शन देंगे। सुबह ब्रह्म मुहूर्त पर भगवान बंशी नारायण जी का दिव्य स्नान किया जायेगा इसके बाद भगवान का फूल श्रृंगार होगा। भगवान नारायण को हलवा पूरी और माखन भोग लगेगा, कल सूर्यास्त तक यह कार्य क्रम चलेगा, मेले को लेकर क्षेत्र के समाज सेवक लक्ष्मण सिंह रावत ने दूर भाष से बताया कि इस पर्व को लेकर मेला कमेटी द्वारा सभी तैयारी पूरी कर ली है और कल यहाँ नारायण धाम में भक्तों के लिए रक्षा बंधन मेला में विशाल भंडारा भी आयोजित किया जायेगा। देवभूमि उत्तराखंड का एक मात्र ऐसा दुर्लभ पौराणिक मंदिर है बंशी नारायण जहाँ रक्षा बंधन पर्व पर यहाँ कुंवारी कन्याओं के साथ ही विवाहिताएं ध्याणियां भगवान वंशीनारायण को राखी बांधने के बाद ही अपने भाइयों की कलाई पर स्नेह और रक्षा की डोर बांधती है।

कैसे पहुंचें नारायण धाम 

चमोली जिले के उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित वंशीनारायण मंदिर तक पहुंचना आसान नही है। जोशीमठ से उर्गम घाटी तक वाहन से पहुंचने के बाद आगे 10 किलोमीटर का सफर पैदल ही नापना पड़ता है। पांच किलोमीटर दूर तक फैले मखमली घास के मैदानों को पार कर सामने नजर आता है प्रसिद्ध पहाड़ी शैली कत्यूरी में बना वंशीनारायण मंदिर। दस फुट ऊंचे मंदिर में भगवान की चतुर्भुज मूर्ति विराजमान है। परंपरा के अनुसार यहां मंदिर के पुजारी राजपूत हैं। पौराणिक आख्यानों के हवाले से बताते है की बामन अवतार धारण कर भगवान विष्णु ने दानवीर राजा बलि का अभिमान चूर कर उसे पाताल लोक भेजा। बलि ने भगवान से अपनी सुरक्षा का आग्रह किया। इस पर श्रीहरि विष्णु स्वयं पाताल लोक में बलि के द्वारपाल हो गए। ऐसे में पति को मुक्त कराने के देवी लक्ष्मी पाताल लोक पहुंची और राजा बलि के राखी बांधकर भगवान को मुक्त कराया। किवदंतियों के अनुसार पाताल लोक से भगवान यहीं प्रकट हुए।संदीप सिंह रावत बताते है कि माना जाता है कि भगवान के राखी बांधने से स्वयं श्रीहरि नारायण उनकी रक्षा करते हैं। रविवार को आसपास के दर्जनों गांवों के लोग यहां एकत्र होकर इस अद्भुत क्षण के गवाह बनेंगे।

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