चमोली : अधूरे सड़क निर्माण के खिलाफ उपरी अलकनंदा घाटी के ग्रामीणों ने मशाल जुलूस निकाल कर सरकार को चेताया

Team PahadRaftar

चमोली : ऊपरी अलकनंदा घाटी के ग्रामीणों का सड़क का सपना तीन दशक बाद भी अधूरा बना हुआ है। जिसको लेकर सैंजी लग्गा मैकोट डुमक कलगोठ संयुक्त संघर्ष समिति के तत्वावधान में दशोली व जोशीमठ के तीन दर्जन से अधिक गांवों के ग्रामीणों ने मशाल जुलूस निकाल कर सरकार का चेताया है। कहा की सड़क निर्माण की मांग पूरी नहीं हुई तो बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा।

उपरी अलकनंदा घाटी के तीन दर्जन से अधिक गांव बेमरू, स्यूंण, कौंज पोथनी, कुजों, मैकोट, देवर, खडोरा मठ, झडेता, कांडा कुणखेत, सुरेन्डा, लुदांऊ, डुमक, कलगोठ, उछोंग्वाड़, पल्ला, जखोला, ल्यांरी, संलना, बडगिंडा, गीरा, बांसा, देवग्राम, पिलखी, भेंठा,भर्की सहित अन्य गांवों के ग्रामीणों ने सैंजी लग्गा बेमरू स्यूंण डुमक मोटर मार्ग व हेलंग उर्गमघाटी मोटर मार्ग के आधा – अधूरे निर्माण कार्य को लेकर अपना आक्रोश जताते हुए आज घाटी के सभी गांवों में मशाल जुलूस निकाला सरकार को चेताया है और जल्द ही मांगे पूरी न होने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी भी दी है।

डुमक गांव के सामाजिक कार्यकर्ता प्रेमसिंह सनवाल ने कहा कि सैंजी लग्गा बेमरू डुमक मोटर मार्ग का निर्माण कार्य 2007-08 से चल रहा किन्तु विभागीय लापरवाही के चलते मोटर मार्ग आज भी आधा – अधूरा बना हुआ है, जिसके चलते ग्रामीणों का सड़क का सपना आज भी अधूरा बना हुआ है। स्यूंण गांव के पूर्व प्रधान बहादुर सिंह रावत ने कहा कि सड़क की मांग को लेकर ग्रामीणों द्वारा कही बार आंदोलन भी किया गया बावजूद शासन – प्रशासन को आंखें मूंदी हुई है। उन्होंने कहा घाटी के तीन दर्जन से अधिक गांवों के ग्रामीणों द्वारा आज मशाल जुलूस निकालकर सरकार को चेताया है। उन्होंने कहा कि जल्द ही मांगों पर अमल नहीं किया गया तो बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा। प्रधान संघ के अध्यक्ष अनुप नेगी ने कहा कि हेलंग – उर्गम मोटर मार्ग की स्थिति दयनीय बनी हुई है। ग्रामीण जान जोखिम में डालकर आवाजाही को मजबूर हैं, शासन – प्रशासन को कही बार ज्ञापन सौंपने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। लिहाजा अब ग्रामीण आर – पास की लड़ाई के लिए मजबूर हो गए हैं।
मशाल जुलूस प्रदर्शन में डुमक के प्रेमसिंह सनवाल, विनोद सनवाल, लक्ष्मण सिंह, गोपेश्वर में महादेव भट्ट, रविन्द्र सिंह, कुजों में दिलबर सिंह भण्डारी, राजेन्द्र सिंह नेगी, मोहन सिंह रावत, वलदेव झिक्वाण, स्यूंण में प्रतापसिंह राणा, मनोरमा देवी, बहादुर सिंह रावत, विक्रम रावत, अरूण राणा,अवतार सिंह पंवार भेंटाभर्की में लक्ष्मण सिंह नेगी,अनूप नेगी, देवेन्द्र सिंह रावत मठ-झडेता में संजय राणा, कुन्दन सिंह रावत, बेमरु में पानसिंह नेगी, बीना देवी बलवीर सिंह, राकेश सिंह नेगी, दिनेश हटवाल सहित कई गाँवों के ग्रामीण सम्मलित रहे।

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