भगवती नन्दा स्वनूल देवी को बुलाने भूमि क्षेत्र रवाना
उर्गम घाटी की लोक जात यात्रा आज भगवती नन्दा स्वनूल को बुलाने भूमि क्षेत्र पाल घंटाकर्ण के सानिध्य में मैनवाखाल के लिए 19 छतोलियांं रवाना हो गयी है जो रात्रि विश्राम वंशीनारायण के समीप रिखडारा उडियार में करेगी जहाँ पंचगैं की छतोली के साथ मिलन होगा रात्रि भर जागर गायन किया जायेगा। सप्तमी की तिथि को मैनवाखाल में भगवती नन्दा की जात की जायेगी जहाँ जागरों से नन्दा का आह्वान होगा अष्टमी की तिथि को भगवती नन्दा मायके पहुंचेगी देवी स्वनूल को बुलाने भर्की भूमियाल की आगवानी में आज फ्यूलानारायण जायेगे सप्तमी तिथि को भनाई बुग्याल में स्वनूल देवी की जात होगी।
जिसमें उर्गम डुमक पल्ला की एक एक छतोलियांं समेत 12 छतोलियांं शामिल होंगी। 14 सितम्बर को सभी छंतोलियांं अपने – अपने गांवों में ब्रहम कमल लेकर आयेंगी। लोकगाथाओं एवं जागरों में के अनुसार नन्दा को नन्दीकुड से तथा स्वनूल को सोना शिखर से बुलाया जाता है। मैनवाखाल एवं भनाई बुग्याल में मा नन्दा स्वनूल का जागरों से आह्वान किया जाता है। जागरों में पूरा वर्णन होता है और अन्त में नन्दा अवतरित पुरूष जिसे स्थानीय भाषा में पश्वा कहा जाता है। 14 सितम्बर को वापसी मे देवग्राम से 5 किमी दूर मरूडियो छानियोंं में निवास करने वाले लोग जो छह माह रहते है उनके द्वारा माँ नन्दा को भोग लगाया जायेगा।
यहीं पर ब्रहम कमल को छंतोलियों पर सजाया जायेगा। सभी छंतोलियों मां नन्दा मंदिर बडगिण्डा में पहुंचेगी। पंच भाई टपोल्या मेला कमेटी जागरियों द्वारा जागरों में पूछा जाता है कि वहाँ जात यात्री ने क्या देखा कैसा दृश्य था कैसा पर्वत कैसा रास्ता था सबका उसी भाषा में जबाब देते हैं जो बडा मार्मिक वर्णन होता है। फिर छंतोलियों नन्दा मंदिर पहुचती है और लाटू अवतरित होता है। घंटाकर्ण समेत सभी देवता अवतरित होते है घंटाकर्ण के मंदिर में पहुंचकर ब्रहम कमल प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।