ऊखीमठ : मदमहेश्वर घाटी की न्याय पंचायत मनसूना के गैड़ बष्टी निवासी बलवीर राणा युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बने हुए है। उन्होंने वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के बाद बष्टी तोक में लगभग 10 नाली भूमि में पशुपालन, बागवानी, मत्स्य पालन, मौन पालन तथा साग सब्जी के उत्पादन व्यवसाय को अपना कर स्वरोजगार तथा आत्मनिर्भर बनने की शानदार पहल की है। उन्होंने जंगलों में लावारिस भटक रही गाय को सहारा दिया तो आज गाय उनके जीवनयापन का सहारा बनी हुई है। भविष्य में बलवीर राणा का सपना बष्टी गाँव को होम स्टे की तर्ज पर विकसित करने तथा बष्टी – देवरिया ताल दो किमी पैदल ट्रैक को विकसित कर स्थानीय पर्यटन व्यवसाय को बढ़ावा देना है। वर्तमान समय में बलवीर राणा प्रतिवर्ष मत्स्य पालन से 3 लाख, सब्जी उत्पादन से 1 लाख तथा पशुपालन से भी 1 लाख रुपये की शुद्ध आय अर्जित कर रहे है। उनसे प्रेरणा लेकर बष्टी तोक के चार परिवारों ने भी बागवानी के तहत कार्य करना शुरू कर दिया है। विगत दो वर्ष पूर्व जहाँ पूरा विश्व वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण से जूझ रहा था तथा आमजनमानस के सन्मुख दो जून की रोटी का संकट बना हुआ था तो बलवीर राणा ने ग्राम पंचायत गैड़ के बष्टी तोक में सर्व प्रथम पशुपालन व्यवसाय का शुभारम्भ किया। बलवीर राणा जंगलों में आवारा घूम रही गाय के लिए देवदूत बने तथा गाय को आशियाना देकर खूब परवरिश की तो आज गाय 10 किलो दूध प्रति दिन देती है जिससे उनके परिवार का भरण पोषण हो जाता है। बलवीर राणा ने धीरे – धीरे मत्स्य पालन विभाग के सहयोग से मत्स्य पालन शुरू किया तो आज उन्हें मत्स्य पालन से प्रति वर्ष 3 लाख रुपये की आय अर्जित हो रही है। उनके अनुसार मत्स्य पालन पर प्रति वर्ष डेढ़ लाख रुपये व्यय भी हो जाता है। बलवीर राणा ने 10 नाली भूमि पर 800 सेब, 10 आडूं, 20 माल्टा, 20 केवी, 190 तेजपाती तथा 20 पौधे नाशपाती के रोपित कर बागवानी को भी बढा़वा दिया है, उनके अनुसार बागवानी में बहुत मेहनत करनी पड़ती है तथा पेड़ पौधों की देखभाल सही तरीके से होने पर फलदार पौधों में चार वर्ष में फलों की पैदावार शुरू हो जाती है। बलवीर राणा प्रति वर्ष राई, आलू, बन्दगोभी, फूलगोभी, वीन्स, बेंगन , टमाटर सहित कई प्रकार के सब्जी उत्पादन से लगभग 1 लाख रुपये कमा लेते है। दो वर्षों में जीवन पथ पर अग्रसर होने के लिए बलवीर राणा को पशुपालन, कृर्षि, मत्स्य पालन, तथा उद्यान विभाग ने भरपूर सहयोग किया है।बलवीर राणा से प्रेरणा लेकर बष्टी तोक के चार परिवारों ने बगवानी शुरू कर दी है। बलवीर राणा का कहना है कि दो रोटी के लिए जन्मभूमि से पलायन करने के बजाय अपनी माटी से लगाव होना चाहिए मेहनत का फल देर सवेर मिल ही जाता है। उनका कहना है कि किसी भी लघु उद्योग को विकसित करने के लिए मेहनत, लगन व निष्ठा अनिवार्य होने चाहिए तभी कामयाबी मिल सकती है। उनका कहना है कि यदि बष्टी तोक यातायात से जुड़ता है तो विपणन की समस्या कम हो सकती है। बलवीर राणा ने बताया कि भविष्य में बष्टी तोक को होम स्टे योजना के तहत विकसित करने तथा बष्टी – देवरिया ताल पैदल ट्रैक को विकसित करने की सामूहिक पहल की जायेगी।