संजय कुंवर
उत्तराखंड के श्री बदरीनाथ धाम कपाट बंद होने का कार्यक्रम इस तरह रहेगा।
भू-बैकुंठ नगरी श्री बदरीनाथ धाम के कपाट आज रविवार 17 नवंबर को रात 9 बजकर 07 मिनट पर देव पूजन हेतु शीतकाल के लिए बंद हो जायेंगे। जिसके बाद श्री हरि नारायण प्रभु की दैनिक पूजाओं का दायित्व मनुष्यों से देवताओं के पास आ जायेगा, श्री कपाट बंद होने के बाद जहां देवता गण देव ऋषि नारद जी के साथ मिलकर भगवान श्री बदरी विशाल जी की नित्य पूजाओं के दायित्वों का निर्वाहन करेंगे। आज बदरीनाथ धाम को पुष्पों से बेहद सुंदर तरीके से सुसज्जित किया गया है, हजारों की तादात में श्रद्धालु बदरी पुरी में कार्तिक स्नान के साथ साथ आज श्री हरि नारायण प्रभु के पुष्प श्रंगार दर्शन का पुण्य लाभ अर्जित कर रहे है,श्री बदरीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति मीडिया प्रभारी डा हरीश गौड़ ने बताया कि शीतकाल हेतु भगवान बदरीविशाल के कपाट बंद होने की प्रक्रिया में रावल अमरनाथ नंबूदरी स्त्री भेष धारणकर माता लक्ष्मी को श्री बदरीनाथ मंदिर गर्भगृह में विराजमान करेंगे इससे कुछ ही समय पहले श्री उद्धव जी एवं श्री कुबेर जी मंदिर परिसर में आ जायेंगे। इसके बाद रात सवा आठ बजे से कपाट बंद की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी तथा घृत कंबल औढाने के बाद निर्धारित समय रात 9 बजकर 07 मिनट पर श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल हेतु बंद हो जायेंगे।तथा 18 नवंबर प्रात:को योग बदरी पांडुकेश्वर को प्रस्थान करेंगे।
श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के कार्यक्रम की जानकारी देते हुए बताया कि आज प्रातः काल में ब्रह्ममुहुर्त 4 बजे मंदिर खुला।पूर्व की भांति साढ़े चार बजे से अभिषेक पूजा संपादित हो रही है, तथा दिन का भोग पूर्ववत दिन में लगेगा।तथा मंदिर में दर्शन होते रहेंगे आज दिन में मंदिर बंद नही रहेगा। वहीं शाम को 6 बजकर 45 मिनट पर शायंकालीन पूजा शुरू होगी उसके 60 मिनट पश्चात अर्थात 7 बजकर 45 मिनट पर रावल माता लक्ष्मी जी को मंदिर परिसर स्थित लक्ष्मी मंदिर से श्री बदरीनाथ मंदिर में प्रवेश करायेंगे । शाम 8 बजकर 10 मिनट पर शयन आरती होगी तथा इसके बाद कपाट बंद की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी।
9 बजे रात्रि तक भगवान बदरी विशाल को माणा महिला मंडल की ओर से तैयार किया गया घृत कंबल ओढ़ाया जायेगा। इसके बाद ठीक 9 बजकर 07 मिनट पर शुभ मुहूर्त में भगवान बदरी विशाल के कपाट शीतकाल हेतु बंद हो जायेंगे।