गुरु चरणों को तुम सदा देना वो सम्मान, मन के मंदिर में रहें जैसे की भगवान -सुनीता सेमवाल “ख्याति”

Team PahadRaftar

विषय – गुरू पूर्णिमा
विधा – दोहा
मात्रा – 13 और 11 पे यति

गुरु की महिमा क्या कहूँ,गुरु तो हैं वरदान।
गुरु की संगत से मिले,जीवन भर का ज्ञान।।

गुरु के गुण को जो गुने,उसको मिलती जीत।
गुरु की कड़वी बात भी,समझो तुम संगीत।।

गुरु की सच्ची सीख तो,करती है उपकार।
सोचूँ मैं कैसे करूँ,शब्दों से आभार।।

गुरु तमस में दीपक हैं,वही भँवर में नाव।
जिस पर हो गुरु की कृपा,भगवन करें बचाव।।

गुरु चरणों को तुम सदा,देना वो सम्मान।
मन के मंदिर में रहें, जैसे की भगवान।।

स्वरचित
सुनीता सेमवाल “ख्याति”
रूद्रप्रयाग उत्तराखंड

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