उर्गम : 16 जुलाई श्रावण सक्रांति पर्व पर खुलेंगे “भगवान फ्यूला नारायण” धाम के कपाट – संजय कुंवर उर्गमघाटी

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उर्गम : 16 जुलाई की श्रावण सक्रांति पर्व पर खुलेंगे “भगवान फ्यूला नारायण” धाम के कपाट

जोशीमठ क्षेत्र की खूबसूरत कल्प घाटी के 10 हजार फिट ऊँचे उच्च हिमालयी बुग्याल में विराजित भगवान फ्यूलानारायण धाम के कपाट इस वर्ष आगामी 16 जुलाई की श्रावण सक्रांति पर्व पर विधि विधान के साथ भक्तों के लिए खोल दिया जायेंगे।
आज से भगवान फ्यूलानारायण धाम के कपाट खुलने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता डी०एस० चौहान ने बताया की जिस गांव से भी हर साल मंदिर के पुजारी की बारी होती है वो लोग कपाट खुलने से दो दिन पहले भर्की पंचनामा चौक पहुँचते हैं। यहाँ से 16जुलाई को प्रातः पंचनामा चौक से फ्यूलानारायण धाम के लिए प्रस्थान करते हैं और बताया की इस वर्ष इस धाम में भगवान फ्यूला नारायण के फ्यूला हरीश सिंह चौहान और फ्यूलाण गोदाम्वरी देवी है।


गौरतलब है कि यहां पुजारी महिलाएं फ्यूलाण रूप में करती हैं भगवान का श्रृंगार चमोली जिले के जोशीमठ ब्लॉक में स्थित फ्यूंला नारायण धाम के इस पौराणिक मंदिर में यहां उगने वाले विशेष पुष्प ‘फ्यूंला’ के कारण इसे “फ्यूंला नारायण” कहा जाता है। बता दें कि दक्षिण शैली में बने इस पौराणिक मंदिर की विशेषता यह है कि यहां पुजारी के रूप में गाँव की ही महिला हर वर्ष भगवान नारायण का फूलों से श्रृंगार करती है।
कल्प घाटी उर्गम में समुद्रतल से लगभग दस हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित भगवान फ्यूंला नारायण अत्यन्त रमणीक और मनमोहक धाम है। मंदिर के कपाट खुलने पर भगवान श्री हरि नारायण के स्नान के बाद फ्यूंला के पुष्पों से भव्य श्रृंगार किया जाता है। इससे पूर्व गाँव के लोग अपनी दुधारू गायों और अन्य पशु धन को लेकर फ्यूंला नारायण धाम पहुँचते हैं और इन्हीं दुधारू गायों के दूध और मक्खन का भगवान फ्यूला नारायण को नित्य भोग लगाया जाता है। बड़ी बात ये कि यहां पुजारी की जगह महिलाएं भगवान का श्रृंगार करती हैं। जिसके बाद पुजारी, श्रृंगार करने वाली महिला और गाय कपाट बंद होने तक फ्यूंला नारायण मंदिर में रहते हैं। भगवान को प्रति दिन तीनों प्रहर भोग लगाया जाता है। इस बार भगवान नारायण का श्रृंगार गोदांबरी देवी करेंगी। उन्होंने कहा कि यह अधिकार महिलाओं को पीढ़ियों से मिला हुआ है।
सिर्फ डेढ़ माह खुला रहता है धाम

फ्यूंला नारायण धाम परंपरा के अनुसार मंदिर के कपाट श्रवण संक्रांति को खुलते हैं व डेढ़ माह बाद नंदा अष्टमी को बंद कर दिए जाते हैं।
भर्की के भूम्याल देवता करते हैं यात्रा की अगवाईकल्प क्षेत्र के भेटा,भर्की, गवाणा व अरोशी सहित उर्गम घाटी के दर्जनों गांवों के लोग मंदिर में हक-हकूकधारी हैं। कपाट खुलने पर भर्की के पंचनाम देवता (भूम्याल) मंदिर से पुजारी सैकड़ों श्रद्धालुओं के साथ फ्यूंला नारायण मंदिर पहुंचते हैं। जबकि भर्की के भूम्याल देवता यात्र की अगवानी करते हैं। उर्गम सड़क मार्ग से फ्यूंला नारायण मंदिर चार किमी पैदल चलकर पहुंचा जा सकता है।

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