ऊखीमठ। विकासखंड ऊखीमठ की सीमान्त ग्राम पंचायत व मदमहेश्वर यात्रा का आधार शिविर गौण्डार गाँव में मूलभूत सुविधाओं का अभाव बना हुआ है। आजादी के सात दशक बाद व डिजिटल युग में भी ग्रामीण पहाड़ की ऊंची चोटियों में जाकर अपने चित्त परिचितों व रिश्तेदारों से सम्पर्क साधते हैं। गांव के चहुंमुखी विकास में केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग का सेन्चुरी वन अधिनियम बाधक बना हुआ है!
गौण्डार गाँव सहित मदमहेश्वर यात्रा पड़ावों पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव होने से क्षेत्र का पर्यटन व्यवसाय खासा प्रभावित होता है, क्योंकि तीर्थ यात्री व पर्यटक यहां कई सप्ताह प्रकृति से रुबरु होने के उद्देश्य से आता है मगर गौण्डार सहित मदमहेश्वर यात्रा पड़ावों पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव होने से वह एक दो रात्रि में ही यहाँ से हसीन वादियों से विदा हो जाते हैं। बता दें कि गौण्डार गाँव को यातायात व विद्युत व्यवस्था से जोड़ने की कवायद तो जारी है मगर यातायात व विद्युत व्यवस्था से गौण्डार गाँव कब जुड़ पायेगा यह अभी भविष्य के गर्भ में है। गौण्डार गाँव को रोशन करने के लिए उरेडा विभाग द्वारा दो करोड़ दस लाख की लागत से वर्ष 2014 में लघु जल विद्युत परियोजना का निर्माण तो किया गया था मगर परियोजना की नहर विगत वर्ष बहने से ग्रामीण दस माह से अन्धेरे में रात्रि गुजारने के लिए विवश बने हुए हैं।
ग्रामीण अरविन्द पंवार ने बताया कि संचार युग में भी ग्रामीणों को मोबाइल का नेटवर्क ढूढ़ने के लिए ऊंची पहाडि़यों पर जाना पड़ता है, उन्होंने बताया कि डिजिटल इंडिया युग में भी गौण्डार के ग्रामीण संचार सुविधा से मीलों दूर है। पूर्व प्रधान भगत सिंह पंवार ने बताया कि आठवीं की पढा़ई के बाद गौण्डार के नौनिहालों को छह किमी दूर जी आई सी रासी या फिर 28 किमी दूर तहसील मुख्यालय ऊखीमठ सम्पर्क करना पड़ता है! पूर्व प्रधान बीरेन्द्र पंवार ने बताया कि मामूली सी बीमारी की एक गोली के लिए ग्रामीणों को छह किमी दूर रासी सम्पर्क करना पड़ता है! क्षेत्र पंचायत सदस्य बलवीर भटट् ने बताया कि गौण्डार गाँव सहित मदमहेश्वर यात्रा पड़ावों पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव होने से मदमहेश्वर घाटी का पर्यटन व्यवसाय खासा प्रभावित हो रहा है।