चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ की डोली शनिवार को गोपेश्वर स्थित गोपीनाथ मंदिर परिसर से कैलाश के लिए रवाना हो गई है। सीमित संख्या में श्रद्धालुओं की उपस्थिति में भोले अपने ग्रीष्मकालीन प्रवास कैलाश को रवाना हुए। 17 मई को ब्रह्ममुहूर्त में हिमालय के मखमली बुग्यालों के मध्य स्थित पंच केदार में शामिल भगवान रुद्रनाथ के कपाट खोल दिए जाएंगे। रूद्रनाथ में भगवान शिव के एकानन मुख के दर्शन होते हैं। कपाट खुलने के बाद अब अगले 6 माह तक रूद्रनाथ में भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना की जाएगी।
आभूषणों और फूलों से सजी चतुर्थ केदार रुद्रनाथ की उत्सव डोली पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ रवाना हुई। पिछले वर्षो तक सैकड़ों की संख्या में श्रद्वालु उत्सव डोली के साथ जाते थे, लेकिन कोरोना महामारी के चलते इस बार भी गिनती के लोगों को ही अनुमति दी गई। इस दौरान मास्क लगाकर सोशल डिस्टेंसिंग का भी पूरा ध्यान रखा गया। दो दिनों की कठिन पैदल यात्रा में उत्सव डोली का पहला पडाव पनार में रहेगा। इसके बाद अगले दिन डोली रूद्रनाथ के लिए रवाना होगी। भगवान रूद्रनाथ के कपाट 17 मई को ब्रहामुहूर्त में खोले जाएगे।