संजय चौहान को मिलेगा यूथ आइकॉन नेशनल अवार्ड 2024, दो दशकों से जनसरोकारों की पत्रकारिता के जरिए पहाड़ को दिलाई अलग पहचान
संजय कुंवर
पहाड़ रफ्तार समाचार पत्र और बेब पोर्टल के सहयोगी एवं सलाहकार, लोकसंस्कृति कर्मी और जन-सरोकारों की पत्रकारिता के मजबूत स्तंभ पत्रकार संजय चौहान को आगामी 22 दिसंबर 2024 को उत्कृष्ट लेखन विधा एवं स्वतंत्र पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए देहरादून में आयोजित होने वाले भव्य राष्ट्रीय सम्मान समारोह में प्रतिष्ठित यूथ आइकॉन नेशनल अवार्ड 2024 से सम्मानित किया जाएगा। पहाड़ रफ्तार समाचार पत्र और बेब पोर्टल पत्रकार संजय चौहान का चयन प्रतिष्ठित यूथ आइकॉन नेशनल अवार्ड 2024 के लिए होने पर बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं हमारी।
गौरतलब है कि पहाड़ के कोने-कोने की खाक छानने वाले यायावर, प्रकृति प्रेमी, लेखक, पत्रकार, लोक संस्कृतिकर्मी संजय चौहान ने पहाड़ और यहां की अनमोल सांस्कृतिक विरासत को अपनी लेखनी से नई पीढ़ी तक पहुंचाया है। पहाड़ के लोकजीवन, नदी घाटियां, बुग्याल, पर्यटन की दृष्टि से पहाड के गुमनाम ट्रैक स्थल को इन्होंने अपनी लेखनी से नयी पहचान दिलाई और देश दुनिया के सामने रखा।
शिक्षा एवं अनुभव
पत्रकारिता में स्नाकोत्तर डिग्री, समाजशास्त्र में स्नाकोत्तर डिग्री राजनीति विज्ञान में स्नाकोत्तर डिग्री, आपदा प्रबंधन में स्नाकोत्तर डिग्री, फार्मेसी में डिप्लोमा जैसी उच्च शिक्षा प्राप्त संजय चौहान वास्तव में पहाड़ के सच्चे हितैषी और चिंतक हैं। नंदा की वार्षिक लोकजात यात्रा हो या फिर 12 बरस में आयोजित होने वाली नंदा राजजात यात्रा, पहाड़ के लोकजीवन का कोई तीज त्योहार पहाड़ का कोई लोकोत्सव हो इन्होंने हमेशा पहाड़ को नये रूप में परिभाषित किया है, और लोगों को पहाड़ आने के लिए प्रेरित किया है। जहां – जहां पहाड़ की लोसंस्कृति परिलक्षित होती है वहां-वहां आपको संजय चौहान की मौजूदगी दिखाई देगी। इनके हिस्से के पहाड़ में बुग्याल है, फूल है, नदी घाटियां है, पहाड़ की पगडंडी है, झुमेलो, झोडा, चौंफुला है, रम्माण, पांडव नृत्य है, जीतू बगडवाल है, ऐपण है, रिंगाल की टोकरी और फूलदेई है। इन्होंने अपनी लेखनी के जरिए कई प्रतिभाओं को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है। पहाड़ और संजय चौहान एक दूसरे के पूरक हैं। पहाड़ के लोक का शायद ही कोई ऐसा विषय होगा जिस पर संजय चौहान ने लिखा न हो। फूलदेई से लेकर इगास बग्वाल, चार धामों से लेकर पंच केदार हर किसी को अपनी लेखनी से देश दुनिया तक पहुंचाया है। विगत 10 सालों से इन्होंने डिजिटल प्लेटफार्म सोशल मीडिया में सुदूरवर्ती पहाड़ को नए कलेवर में देश दुनिया के सामने रखा है। फूलों की घाटी की खुशबू हो या फिर वेदनी आली के मखमली बुग्यालों की सुंदरता, पहाड़ की अनूठी लोकसंस्कृति हो या फिर समाज को प्रेरणा देने वाली स्टोरी, पलायन को आईना दिखाने वाली कहानी हो या फिर रिवर्स माइग्रेशन की प्रेरणादाई कहानी, दुर्गम में शिक्षा की अलख जगाए गुरु द्रोण की स्टोरी हो या फिर पहाड़ की आर्थिकी और जीवन रेखाएं मातृशक्ति के संघर्षों की कहानी संजय चौहान ने अपनी जादुई कलम से उन्हें देश दुनिया तक पहुंचाया। आज संजय चौहान ने सकारात्मक और जनसरोकारों की पत्रकारिता को नया मुकाम दिया है और अपनी अलग पहचान बनाई है।
पत्रकारिता :- स्वतंत्र लेखन (20 सालों )
विगत 2 दशकों के दौरान संजय चौहान के दि संडे पोस्ट राष्ट्रीय साप्ताहिक समाचार पत्र, पंचजान्य, राष्ट्रीय सहारा, जनपक्ष, कर्मभूमि, समय साक्ष्य, जनपक्ष आजकल, नैनीताल समाचार पत्र, धाद, रीजनल रिपोर्टर, देहरादून डिस्कवर, द बेटर इंडिया, हिमालय दर्पण सहित दर्जनों पत्र पत्रिकाओं में इनके 2 हजार से भी ज्यादा लेख छप चुके हैं। जबकि ग्राउंड जीरो, पहाड़ रफ्तार, हिमालयन डिस्कवर, सहित दर्जनों बेब पोर्टलों में सैकड़ों लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
पुरस्कार और सम्मान
पत्रकारिता, पहाड़, पर्यावरण, प्रकृति, लोकसंस्कृति के लिए संजय चौहान को उमेश डोभाल पत्रकारिता पुरस्कार,
चारु चन्द चंदोला पत्रकारिता पुरस्कार,
पंच केदार सम्मान
बंड गौरव सम्मान
गिरी गौरव सम्मान
गौरा देवी सम्मान
केदार घाटी सम्मान
सहित विभिन्न अवसरों पर कई पुरस्कार और सम्मान मिल चुके हैं।