राजेंद्र ने रिंगाल से बनाया नंदा देवी मंदिर
पीपलकोटी!
पहाड़ में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। कहा जाता है की कला और कलाकार को सरहदों के बंधन में नहीं बांधा जा सकता है। रिंगाल मैन राजेन्द्र ने उक्त कहावत को चरितार्थ करके दिखाया है। राजेन्द्र बडवाल ने रिंगाल से विभिन्न मंदिर, ढोल दमांऊ, मोनाल पक्षी के बाद रिंगाल से हिमालय को अधिष्ठात्री देवी मां नंदा देवी के नौटी गांव स्थित प्राचीन मंदिर के हुबहु डिजायन को बनाकर हर किसी को अपनी कला की ओर आकर्षित किया है।
गौरतलब है कि सीमांत जनपद चमोली के दशोली ब्लाॅक के किरूली गांव निवासी राजेंद्र बडवाल विगत 15 सालों से अपनें पिताजी दरमानी बडवाल जी के साथ मिलकर हस्तशिल्प का कार्य कर रहें हैं। राजेन्द्र पिछले 10 सालों से रिंगाल के परम्परागत उत्पादों के साथ साथ नयें नयें प्रयोग कर इन्हें मार्डन लुक देकर नयें डिजाइन तैयार कर रहे हैं। उनके द्वारा बनाई गई रिंगाल की छंतोली, ढोल दमाऊ, राज्य पक्षी मोनाल, हुडका, लैंप शेड, लालटेन, गैस, टोकरी, फूलदान, घौंसला, पेन होल्डर, फुलारी टोकरी, चाय ट्रे, नमकीन ट्रे, डस्टबिन, फूलदान, टोपी, स्ट्रैं, वाटर बोतल, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, पशुपतिनाथ मंदिर सहित अन्य मंदिरों के डिज़ायनों को लोगों नें बेहद पसंद किया और खरीदा। जिससे राजेन्द्र को अच्छा खासा मुनाफा भी हुआ। राजेन्द्र बडवाल की हस्तशिल्प के मुरीद उत्तराखंड में हीं नहीं बल्कि देश के विभिन्न प्रदेशों से लेकर विदेशों में बसे लोग भी हैं।
रिंगाल मैन राजेन्द्र बडवाल कहते हैं कि जहां मॉर्डन फर्नीचर्स केवल दिखावे तक सीमित है वहीं रिंगाल के उत्पादों से घरों की शोभा वास्तविक रूप से बढ़ती है। हमारे धार्मिक ग्रंथों में रिंगाल को उच्च दर्जा प्राप्त है। फूलों की टोकरी से लेकर रिंगाल की छंतोली इसका उदाहरण है। वहीं रिंगाल का सबसे बड़ा फायदा ये है वो पर्यावरणीय दृष्टि से बेहद अच्छा होता है। रिंगाल के उत्पाद बेहद हल्के होते हैं। और अन्य की तुलना में आकर्षक और सस्ते भी होते हैं। इन्हें आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है।