लक्ष्मण नेगी
ऊखीमठ : विगत 21 जुलाई को राकेश्वरी मन्दिर रासी मदमहेश्वर घाटी से शुरू हुई 6 दिवसीय मनणामाई लोकजात यात्रा के राकेश्वरी मन्दिर रासी गाँव पहुंचने पर मनणामाई लोकजात यात्रा का समापन हो गया है। मनणामाई लोक जात यात्रा के राकेश्वरी मन्दिर रासी पहुंचने पर ग्रामीणों ने पुष्प , अक्षत्रों विद्वान आचार्यों ने वेद ऋचाओं व महिलाओं ने मांगल गीतों से लोक जात यात्रा का भव्य स्वागत किया।
इस बार लोकजात यात्रा में विभिन्न स्थानों के दो दर्जन से अधिक श्रद्धालु शामिल थे। भगवती मनणामाई के राकेश्वरी मन्दिर रासी पहुंचने के बाद भगवती मनणामाई जगत कल्याण के लिए तपस्यारत हो गयी है। अगले वर्ष फिर सावन मास में भगवती मनणामाई लोक जात यात्रा का आयोजन किया जायेगा! जानकारी देते हुए राकेश्वरी मन्दिर समिति के अध्यक्ष जगत सिंह पंवार ने बताया कि भगवती मनणामाई भेड़ पालकों की अराध्य देवी मानी जाती है तथा दशकों पूर्व जब भेड़ पालक अप्रैल महीने में 6 माह बुग्यालों के प्रवास के लिए रवाना होते थे तो भगवती मनणामाई की डोली को साथ ले जाते थे तथा भगवती मनणामाई की डोली 6 माह मनणा धाम में प्रवास करती थी तथा भेड़ पालकों की गांव वापसी के साथ ही मनणामाई की डोली भी गांवों को पहुंचती थी।
उन्होंने बताया कि धीरे – धीरे भेड़ पालन व्यवसाय में कमी आने लगी तो भेड़ पालकों ने भगवती मनणामाई की डोली को राकेश्वरी रासी में तपस्यारत करवाया। बताया कि भेड़ पालन व्यवसाय समाप्त होने पर रासी के ग्रामीणों द्वारा प्रति वर्ष सावन माह में मनणामाई लोकजात यात्रा का आयोजन किया जाता है। शिक्षाविद रविन्द्र भटट् ने बताया कि मनणामाई तीर्थ मदमहेश्वर घाटी के रासी गाँव से लगभग 32 किमी दूर चौखम्बा की तलहटी व मदानी नदी के किनारे बसा है। उन्होंने बताया कि मनणा का शाब्दिक अर्थ मन की कामना को पूर्ण करना होता है इसलिए जो मनुष्य मनणामाई तीर्थ में अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। उन्होंने बताया कि स्कन्द पुराण के केदारखण्ड में मनणा तीर्थ का विस्तृत वर्णन किया है।
शिक्षाविद भगवती प्रसाद भटट् ने बताया कि भगवती मनणा द्वारा जिस स्थान पर महिषासुर असुर का वध किया गया वह स्थान मनणा तीर्थ के नाम से विख्यात हुआ। उन्होंने बताया कि मनणामाई तीर्थ में आज भी महिषासुर असुर विशाल शिला के रूप में विराजमान है तथा भगवती मनणामाई की पूजा के बाद महिषासुर असुर की शिला पूजने का विधान है। मनणामाई लोक जात यात्रा समिति अध्यक्ष जगत सिंह बिष्ट ने बताया कि इस बार मनणामाई लोक जात यात्रा की पूजा – अर्चना व अगुवाई पण्डित ईश्वरी प्रसाद भटट् द्वारा की गयी तथा मनणामाई लोक जात यात्रा में दो दर्जन से अधिक श्रद्धालु मौजूद रहे।