बड़ागांव : धार्मिक,पौराणिक व सांस्कृतिक गरुड़ छाड़ मेले में उमड़ी भक्तों की भीड़

Team PahadRaftar

संजय कुंवर

बड़ागांव : धार्मिक,पौराणिक व सांस्कृतिक गरुड़ छाड़ मेला हुआ संपन्न, काशी की गंगा आरती रही आकर्षण का केंद्र।

धार्मिक,पौराणिक,सांस्कृतिक गरुड़ छाड़ मेला हुआ संपन्न,
मिथक:मेले में भगवान गरुड़ व भगवान कृष्ण को छूने वाले को होती पुत्ररत्न की प्राप्ति।
जोशीमठ के बड़ागांव में होता है यह गरुड़ छाड़ उत्सव।
भगवान नृसिंह के पत्तर ने दिखाया रौद्र रूप,अद्भुत मुखौटा नृत्य रहा आकर्षण का केंद्र।

जोशीमठ प्रखंड के बड़ागॉव के पंचायत चौक में पौराणिक सांस्कृतिक धरोहर को संजोए गरुड़ छाड़ मेले का विधिवत समापन हो गया है। वहीं इस बार मेले में ग्रामीणों के आग्रह पर ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अवि मुक्तेश्वरानन्द की और से काशी की प्रसिद्ध गंगा आरती भी मेले में पहुंचे हजारों लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी रही। सदियों से चले आ रहे इस पारंम्परिक मेले में गांव की पंचायत द्वारा नामित जो भी व्यक्ति भगवान गरुड़ व भगवान कृष्ण को पकड़ता और छूता है उसको पुत्ररत्न की प्राप्ति होती है। यह ऐतिहासिक मेला बड़ागॉव के पंचायत चौक में हर दो साल बाद आयोजित होता है।यहाँ पर एक साल हस्तोला मेला और एक साल गरुड़छाड़ मेले का आयोजन होता है। इस अवसर पर ढोल सागर के 18 तालों पर विभिन्न देवी देवताओं को समर्पित पारम्परिक मुखौटे का नृत्य भी हुआ। साथ ही रामायण के कुछ प्रसंगों का भी राम लक्ष्मण सीता के पात्रों द्वारा नृत्य नाटिका के माध्यम से दिखाया गया।
गॉव के 500 मीटर ऊपर मथकोट नामक स्थान पर एक बड़ा सुराई का पवित्र पेड़ है।जहाँ से भगवान गरुड़ व भगवान कृष्ण रस्सी के सहारे नीचे गांव के मेला स्थल भूमीयाल चौक तक आए। और पंचायत द्वारा निर्धारित व्यक्ति श्रद्धा भाव से भगवान गरुड़ व भगवान कृष्ण को छूता और पकड़ता है।इसके लिये गॉव द्वारा सुरक्षा की विशेष व्यवस्था की गई थी। भगवान गरुड़ व कृष्ण को निर्धारित व्यक्ति के आवास पर भजन कीर्तन के साथ ले जाया गया। वहीं माँ दुर्गा और भगवान कृष्ण और गरुड़ के जयकारों के बीच पूरा गॉव ने भजन कीर्तन किया।अब तीन दिनों तक यहां विशेष पूजा अर्चना और कीर्तन और भोज होता रहेगा।जिस भी व्यक्ति का गॉव में पुत्र रत्न नहीं होता है वह गॉव में प्राथर्ना पत्र देता है।पंच उसका चयन करती है।और वही व्यक्ति भगवान गरुड़ व भगवान कृष्ण को छूता और पकड़ता है। सदियों से जिसने भी गरुड़ और कृष्ण भगवान को पकड़ा उसको पुत्र रत्न की प्राप्ति होती आयी है।
गॉव सदियों में से चली आ रही परंपरा के तहत जिसने भी भगवान गरुड़ व भगवान कृष्ण को पकड़ा है उसका हमेशा पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई है।अभी तक कभी ऐसा नहीं हुआ की जब किसी ने भगवान गरुड़ व कृष्ण को पकड़ा हो उसका पुत्र हुआ हो गॉव में ऐसे सैकड़ों लोग इसके गवाह है। वैसाखी के दिन से गॉव में पंचायत चौक में जाख देवता नाचता है।और मुखोटा नृत्य होता है।मेले के दिन राम लक्ष्मण सीता हनुमान के पात्र विभिन्न तालों पर नृत्य करते है।इसके अलावा भगवान गणेश सूर्य देव नारद, शिव, नृसिंह ब्रह्मा, सहित अन्य मुखोटा 18 पत्तर 18 ताल ढोल के विभिन्न तालों पर नाचते हैं।इसके अलावा मवर मवरिण का नृत्य चोर,पैल पैलवाण भी रहे आकर्षण का केंद्र।अंत में माँ भगवती दुर्गा और भूमियाल देवता का अवतारी पुरुष अवतार लेकर गॉव को खुशहाली और सुख स्मृद्धि का आशीर्वाद देती है।
इस अवसर पर ग्राम प्रधान विमला भंडारी,सहित ब्लॉक प्रमुख जोशीमठ हरीश परमार, नगर पालिका अध्यक्ष जोशीमठ शैलेन्द्र पवार सहित वन सरपंच बड़ागांव सुनील सिंह सहित हजारों लोग मौजूद है।

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