रिपोर्ट रघुबीर नेगी जोशीमठ चमोली
भीगी पलकों के साथ मैतियों ने विदा किया चनाप घाटी थैंग के आराध्य देव थैंग जाख देवता को
उत्तराखंड के पर्वतीय अंचलों में बसे सीमांत गांव की संस्कृति परम्परा आस्था आज भी समेटे हुये हैं। यहां आस्था परम्परा संस्कृति अपनी माटी को हमेशा जोड़े रखती है। आज हम आपको अवगत करा रहे हैं चनाप घाटी के आराध्य देव भूमि क्षेत्र पाल जाख देवता की 15 दिवसीय रथयात्रा का
जोशीमठ विकास खंड के चनाप घाटी के गोद में बसा है थैंग गांव थाणेश्वर महादेव की तपोस्थली जिसके नाम से थैंग गांव पड़ा यहां के भूमि क्षेत्र पाल है 60 भाई जाखों में सबसे छोटे भाई थैंग जाख जिसकी हर तीसरे वर्ष होती है 15 दिवसीय रथयात्रा एक वर्ष थैंग जाख लाठ पर आरूढ होकर गांव का भ्रमण करते हैं। तो एक वर्ष मंदिर से बाहर लाकर चोपता देवखोला में पूजा अर्चना की जाती है। भूमि क्षेत्रपाल गांव में राजस्व कर वसूलने जाते हैं इस वर्ष भूमि क्षेत्र पाल थैंग जाख देवता उत्तरायण पर्व पर गर्भगृह से बाहर आकर चांई मारवाडी होते हुए जोशीमठ ब्रह्म जाख से भैटकर सेलंग पैनी अणीमठ हेलंग सलना ल्यांरी थैणा पंचधारा होते हुये 19 वर्षों के लम्बे अन्तराल के बाद बड़े भाई घंटाकर्ण भूमिक्षेत्र पाल उर्गम से मिलने पहुंचे। जहां घंटाकर्ण ने उनका भत्ता पूजा अर्चना कर व धियाणियों ने सुप्पा आर्ग देकर विदा किया।
उर्गम में थैंग जाख देवता ने श्री ध्यान बदरी, मां चण्डिका, मां नन्दा स्वनूल, दक्षिण काली, पांडव देवता, महर्षि दुर्वासा, भैरव बाबा ,विश्वनाथ नाग देवता जाख देवता विश्वकर्मा दाणी केदार दयूल समेत भगवान कल्पेश्वर महादेव से भेंट की। देवग्राम में अपनी धियाणियों के घरघर जाकर कुशलक्षेम पूछी व सुख समृद्धि का आशीष दिया । उर्गम घाटी श्री जाख देवता थैंग भर्की भूमियाल के बुलावा पर ही आते हैं 15 वर्षों के बाद भूमिक्षेत्र पाल भर्की धनाणधोड़ महाराज के बुलावे पर मायके पहुंचे मायके में मां दाणी नन्दा स्वनूल नाग देवता घंन्याल देवता राज राजेश्वरी मां कालिका मायाधार देवी भैटा जाख देवता से देव मिलन हुआ तीन दिन भर्की भूमियाल की नगरी एवं अपने मैतियों की कुशलक्षेम पूछकर धियाणियों से मिलकर देवमिलन कर भैंटा पिलखी ग्वाणा अरोसी होते हुये लगभग 90 किलोमीटर की पैदल यात्रा करके अपने गांव थैग लौट गये।
15 वर्ष लग गये मायके आने में जब मायके के रास्ते पर चल रहे थे तो तेज कदम थे पर अब वापसी के कदम धीमें पड़ गये मन नहीं कर रहा मैतियों की पावन भूमि छोड़ने का बारबार वापस लौटते जाख देवता भावुक होती धियाणियां अपने मायके के आराध्य को विदा करना मुश्किल क्षण भूमिक्षेत्र इस आशा से विदा करते हैं कि हम जल्द फिर बुलाने आयेंगे तुम मैतियों पर अपनी कृपा बनाये रखना। पुनः मैतियों भक्तों को सुख समृद्धि खुशहाली का आशीर्वाद देकर विदा हुये चनाप घाटी के आराध्य डुमक वजीर के सबसे छोटे भाई थैंग जाख देवता धन्य है। पहाड़ वासियों की अनमोल परम्परा इस अवसर पर प्रधान मंजू रावत, उपप्रधान आरती देवी, लक्ष्मण सिंह नेगी पूर्व प्रधान, रघुबीर चौहान, गुडबीर चौहान, देवेन्द्र चौहान, मेला कमेटी अध्यक्ष हर्षवर्धन फर्स्वाण, सुभाष रावत, महावीर पंवार प्रधान थैंग, भरत चौहान सरपंच सुरेन्द्र रावत जागरवेता सज्जन सिंह पश्वा दाणी थैंग केदार सिंह समेत सैकड़ों लोग उपस्थित थे।