रघुबीर नेगी
तिमुडिया वीर से बदरीनाथ धाम की सुखद यात्रा की कामना
जोशीमठ: लोक मान्यताओं के अनुसार तिमुडिया वीर तीन सिरों वाला वीर है एक सिर से दिशा का अवलोकन दूसरे से मांस का सेवन व तीसरे से शास्त्र का अध्ययन प्राचीन समय में जब लोग बदरीनाथ की यात्रा पर आते थे तो यह वीर प्रतिदिन कई मनुष्यों का भक्षण कर लेता था। जिसका ह्यूणा आदि गांवों के आसपास बड़ा आतंक था लोगों के अनुरोध पर मां दुर्गा ने इस वीर से कहा कि तुम्हारी साल भर में पूजा होगी और तुम लोगों की हत्या नही करोगे। दूसरी मान्यताओं के अनुसार जब मां दुर्गा देवरा यात्रा पर जोशीमठ आई तो तिमुडिया वीर ने इस यात्रा काल में भी अपना आतंक जारी रखा। मां दुर्गा ने भक्तों की रक्षा के लिए इस वीर के दो सिर काट दिये जो पहला सिर काटा वो उर्गम घाटी के आसपास गिरा और हिसवा राक्षस के नाम से प्रसिद्ध हुआ दूसरा सेलंग के आसपास गिरा जो पट्पटवा वीर के नाम से प्रसिद्ध हुआ। जैसे ही मां दुर्गा तीसरे काटने लगी तिमुडिया वीर देवी की शरण में चला गया तब मां ने उससे कहा कि तुम नर बलि नही करोंगे तुम्हे हर साल भरपूर पूजा दी जायेगी। तब से नृसिंह भगवान मन्दिर में इस वीर का स्थान है। हर साल बदरीनाथ के कपाट खुलने से एक सप्ताह पूर्व यह मेला शनिवार को आयोजित होता है। इस वीर का अवतारित पश्वा सवा मण चावल चार किलो गुड तीन घडा पानी तामसिक भोजन करता है। देवता शान्त होने के बाद एक सेर आटे का रोट व सवा सेर चावल की खिचडी खाता है। मां दुर्गा व दाणी के अवतारित पश्वा भी इस वीर के साथ रहते हैं जो वीर को अपने नियंत्रण में रखते हैं। धन्य है जोशीमठ की यह पावन धरती जहां की संस्कृति को साइंस भी चुनौती नही दे सकता। यह पौराणिक परम्परा संस्कृति इंसान को सोचने के लिए विवश कर देती है।