लक्ष्मण नेगी
ऊखीमठ : मई माह के प्रथम सप्ताह में ही अधिकांश क्षेत्रों में भारी जल संकट गहराने लगा है, कई स्थानों पर टैंकरों के माध्यम से ग्रामीणों की प्यास बुझाने के प्रयास किये जा रहे है। तल्ला नागपुर व ऊखीमठ मुख्य बाजार में सबसे अधिक जल संकट बना हुआ है तथा भविष्य के लिए यह शुभ संकेत नही है। मन्दाकिनी सहित सहायक नदियों के साथ ही प्राकृतिक जल स्रोतों के जल स्तर पर प्रति वर्ष भारी गिरावट देखने को मिल गयी है। नदियों व प्राकृतिक जल स्रोतों के जल स्तर पर गिरावट आने का मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन माना जा रहा है। आने वाले समय में यदि जलवायु परिवर्तन की समस्या जारी रहती है तो भविष्य में इसके बुरे परिणाम हो सकते है तथा बूंद – बूंद पानी का संकट खड़ा हो सकता है जिससे मानव, मवेशियों व जंगलों में विचरण कर करने वाले जीव – जन्तुओं का जीवन खासा प्रभावित हो रहा है। जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालय भी धीरे – धीरे बर्फ विहीन होता जा रहा है तथा जलवायु परिवर्तन के कारण दिसम्बर, जनवरी व फरवरी माह में मौसम के अनुकूल बर्फबारी व बारिश न होने से प्राकृतिक जल स्रोतों के जल स्तर पर भारी गिरावट देखने को मिल रही है। आगामी 10 मई को तुंगनाथ धाम खुलने के बाद तुंगनाथ धाम में भी विगत वर्षों की भांति जल संकट गहराने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है।
एक रिपोर्ट के अनुसार पूरे उत्तराखण्ड में 2:6 लाख जल स्रोतों में से 19 हजार जल स्रोत पूर्णतया सूख चुके हैं तथा जनपद रूद्रप्रयाग में 313 जल स्रोतों में से 5 जल स्रोतों सूख चुके हैं तथा अन्य जल स्रोतों के जल स्तर पर प्रति वर्ष भारी गिरावट देखने को मिल रही है। गुरिल्ला संगठन की जिलाध्यक्ष बसन्ती रावत का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण जल संकट बना हुआ है तथा भविष्य में इसके गम्भीर परिणाम हो सकतें है! उन्होंने कहा कि लगातार वृक्षों का पातन होना तथा बरसात के समय रोपित पौधों की देखभाल न होना, प्रकृति के साथ मानवीय हस्तक्षेप होना तथा जलवायु परिवर्तन होना मुख्य कारण माना जा सकता है। उनका कहना है कि दो दशक पूर्व हिमालयी क्षेत्रों में मौसम के अनुकूल बर्फबारी व बारिश होने से जलापूर्ति पर्याप्त मात्रा में होती थी मगर धीरे – धीरे जलवायु परिवर्तन के कारण जल संकट गहराता जा रहा है, तल्ला नागपुर चोपता के सामाजिक कार्यकर्ता पंचम सिंह नेगी का कहना है कि तल्ला नागपुर क्षेत्र में एक दशक से पेयजल संकट बना हुआ है तथा सरकारों द्वारा हर घर जल, हर घर नल योजना संचालित होने के बाद भी ग्रामीण बूंद – बूंद पानी के लिए मोहताज बने हुए हैं। जल संस्थान के अवर अभियन्ता बीरेन्द्र भण्डारी का कहना है कि इस वर्ष दिसम्बर व जनवरी में मौसम के अनुकूल बर्फबारी व बारिश हुई नहीं तथा फरवरी क्षमता से कम हुई बर्फबारी व बारिश के कारण जल संकट बना हुआ है तथा जलवायु परिवर्तन के कारण प्रति वर्ष प्राकृतिक जल स्रोतों के जल स्तर पर गिरावट देखने को मिल रही है।