रिपोर्ट संजय कुंवर जोशीमठ
8 मई को बदरीनाथ धाम के कपाट वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ सुबह ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिए जाएंगे। इससे पहले आज सेना के मधुर बेंड की धुनों के बीच जय बदरी विशाल के जय कारे के साथ दिव्य तेल कलश गाड़ू घड़े और आदिगुरु शंकराचार्य की भूमि जोशीमठ नृसिंग मंदिर से शंकराचार्य की पवित्र गद्दी बदरीनाथ धाम के मुख्य पुजारी रावल जी की अगवाई और मंदिर समिति के हक हकूक धारी रेंकवाल पंचायत के प्रतिनिधियों के साथ पांडु नगरी पांडुकेश्वर के योगध्यान बदरी मंदिर हेतु रवाना हुई।
इस अवसर पर स्थानीय महिला मंगल दलों से जुड़ी महिला समूहों ने मांगलिक गीत गाकर भगवान बदरी विशाल के जयकारे लगाए हुए मुख्मंत्री पुजारी रावल जी सहित आदि गुरु की पवित्र गद्दी को बदरीनाथ धाम के लिए विदा किया।
कल रविवार की सुबह उद्धव जी और कुबेर जी की चल विग्रह डोलियों के साथ शंकराचार्य जी की गद्दी बदरीनाथ धाम के लिए निकलेगी। जिसके बाद 8 मई को ब्रह्ममहुर्त पर भगवान बद्रीविशाल के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये जाएंगे।
जोशीमठ के नृसिंह मंदिर में बदरीनाथ धाम के मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी की उपस्थिति में मां लक्ष्मी मंदिर में विशेष पूजा अर्चना और पगड़ी पूजा की गई। इस दौरान धर्माधिकारी, अपर धर्माधिकारी, वेद पाठी, मंदिर समिति से जुड़े तमाम हक हकुकधारियों के साथ-साथ कुल पुरोहित ने शंकराचार्य जी की गद्दी को रवाना करने से पहले वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पूजा अर्चना की.
वैदिक सनातनी परंपराओं के तहत बदरी धाम के कपाट खुलने से 2 दिन पूर्व आदि गुरु शंकराचार्य जी की पवित्र गद्दी ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य प्रतिनिधि के सानिध्य में हर्ष उल्लास के साथ जोशीमठ के नृसिंह मंदिर से पांडुकेश्वर के लिए रवाना की जाती है।