ऊखीमठ : विकासखंड ऊखीमठ की सीमान्त ग्राम पंचायत तोषी आजादी के सात दशक बाद भी विकास की बाट जोह रही है। गाँव में आज भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव होने का खामियाजा यहाँ की जनता को भुगतना पड़ रहा है। स्थिति यह है कि मामूली बीमारी के लिए यहां के ग्रामीणों को 20 किमी की दौड़ लगाकर सोनप्रयाग सम्पर्क करना पड़ता है। केदारनाथ वन प्रभाग का सेन्चुरी वन अधिनियम तोसी गाँव के विकास में बाधक होने से गांव आज भी यातायात से अछूता है। जिसके चलते ग्रामीणों को रोजमर्रा की सामग्री त्रियुगीनारायण से सात किमी पैदल चलकर गाँव पहुँचानी पड़ती है।
विकासखंड ऊखीमठ की 50 परिवारों की लगभग 160 जनसंख्या वाले ग्राम पंचायत तोषी को वर्ष 2014 में पृथक ग्राम पंचायत का दर्जा मिला था। 16 / 17 जून 2013 की आपदा में सैकड़ों तीर्थ यात्री, तीर्थ पुरोहित व व्यापारी तोसी गाँव होकर ही अपने घरों को सुरक्षित पहुँचे थे। तथा उस समय यहाँ के ग्रामीणों का योगदान सराहनीय रहा। गाँव के चहुमुखी विकास में केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग का सेन्चुरी वन अधिनियम बाधक होने से इस गाँव में यातायात, उच्च शिक्षा, संचार व स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव बना हुआ है। गाँव को यातायात से जोड़ने के लिए वर्ष 2009 में राज्य योजना के अन्तर्गत 7 किमी मोटर मार्ग की स्वीकृति मिली थी, किन्तु मोटर मार्ग के निर्माण में सेन्चुरी वन अधिनियम के बाधक होने से मोटर मार्ग का निर्माण कार्य अधर में लटका हुआ है। परिणाम स्वरूप ग्रामीणों को रोजमर्रा की सामग्री त्रियुगीनारायण से सात किमी पीठ में ढोनी पड़ती है। गाँव में स्वास्थ्य इकाई न होने से ग्रामीणों को मामूली सी बीमारी की एक गोली के लिए 20 किमी दूर सम्पर्क साधना पड़ता है। संचार युग में भी ग्रामीण गाँव की ऊँची पहाड़ियों पर जाकर घन्टों का समय मोबाइल का सिग्नल ढूँढने में बर्बाद कर देते हैं। गाँव के नौनिहालो को आठवीं की शिक्षा के बाद सात किमी दूर राइंका त्रियुगीनारायण सम्पर्क करना पड़ता है। इसके अलावा सरकार से संचालित होम स्टे योजना तोसी गाँव में परवान चढ़ सकती है, किन्तु सात किमी की दूरी पैदल तय कर कोई भी सैलानी तोसी गाँव जाना पसन्द नहीं करेगा। साथ ही राज्य सरकार कब तोषी गांव की सुध लेगी यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है। प्रधान तोषी जगत सिंह रावत का कहना है कि यदि तोसी गाँव यातायात से जुड़ जाता तो अन्य समस्याएं धीरे – धीरे कम हो सकती है।