संजय कुंवर
नीति मलारी : बुरांश कैलाशपुर वैली ब्रिज टूटने के बाद नीति घाटी के ग्रामीणों को माइग्रेट करने में हो रही दिक्कतें, जेसीबी मशीन से हो रहे नदी पार,ऋतु प्रवासी ग्रामीण रतजगा कर कर रहे मशीन का इंतजार।
जोशीमठ प्रखंड के सीमान्त बॉर्डर क्षेत्र नीती पास को जोड़ने वाला एकमात्र बुरांश कैलाशपुर पुल के टूट जाने के बाद अब नीति घाटी क्षेत्र के लोग परेशान हैं। आलम ये है कि वाईब्रेंट विलेज नीति सहित अन्य गांवों के ये ऋतु प्रवासी ग्रामीण अपने गीष्मकालीन प्रवास हेतु मूल गॉव पहुंचने के लिए मलारी से आगे बुरांश में पिछली दो रातों से सड़क पर खुली आसमान के नीचे रात काटने को मजबूर हैं। इस उम्मीद में कि आखिर कोई तो आएगा उनको नदी पार कर उनके मूल गांव भेजने के लिए। आप तस्वीरों ने देख सकते हैं कि मलारी बुरांश में बीआरओ के पुल के टूटने के बाद नीति घाटी के बंपा,गमशाली, नीति, मेहर, फरख्या सहित आधा दर्जन अन्य ऋतु प्रवासी गांव का संपर्क जोशीमठ मुख्यालय से पूरी तरह से कट चुका है, वहीं नीति घाटी क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता और प्रधान कागा गरपक पुष्कर सिंह राणा ने बताया कि नीति घाटी को माइग्रेट करने वाले परिवारों की जान जोखिम में डालते हुए बीआरओ और प्रशासन के द्वारा एक जेसीबी मशीन में बैठा कर उनको आरपार कराया जा रहा है। जबकि नीति घाटी के मवासों का पूरा परिवार अपने पशुधनों के साथ आजकल निचले इलाकों से मूल गांव नीति घाटी की ओर प्रवास करने पहुंच रहे हैं बिना पुल के उन्हें भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। एक महीना बीत जाने पर भी शासन प्रशासन व बी0आर0ओ0 अभी तक नीति घाटी के ऋतु प्रवासी ग्रामीणों की इस समस्या के प्रति मौन है। और नीति घाटी को माईगेट्र करने वाले भोटिया जनजाति के ऋतु प्रवासी मवासों को खासकर बुजुर्ग महिलाओं को दो तीन दिनों से बुरांश के समीप रात खुले आसमान के नीचे काटने को मजबूर होना पड़ रहा है। लेकिन नीति घाटी के लोगों की पीड़ा सुनने वाला कोई नहीं है, आखिर कब तक ऋतु प्रवासी ग्रामीण यूं अपने मूल गांव जाने के लिए बीआरओ और प्रशासन के भरोसे सड़कों पर रात काटते रहेंगे ?